नई दिल्ली, अधिकतर भारतीयों का खाना मूंग और मसूर की दाल के बिना पूरा नहीं होता है। अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जो दाल के बिना खाने की कल्पना ही नहीं कर सकते हैं तो फिर आप इस खबर से मायूस हो सकते हैं।
मूंग और मसूर की दाल खाने वाले सावधान हो जाएं। आपके खाने की थाली में परोसी जाने वाली दाल जानलेवा साबित हो सकती हैं। क्योंकि इन दालों में हानिकारक रसायन पाए जा रहे हैं। फूड सेफ्टी ऑथोरिटी एंड स्टैंडर्ड ऑफ इंडिया (FSSAI) ने एक नए रिचर्स में पाया है कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आयात की जा रही दालों में विषैले तत्व मौजूद हैं। गौरतलब है कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से सबसे ज्यादा दालें आयात की जाती हैं।
FSSAI ने उपभोक्ताओं को आगाह करते हुए कहा है कि इन दालों का उपभोग कम करें। लैब में जांच किए गए मूंग और मसूर की दालों के सैंपल्स में ग्लाइफोसेट जैसे हर्बीसाइड्स केमिकल अधिक मात्रा में पाए गए हैं। इस बारे में बात करते हुए FSSAI के एक अधिकारी ने बताया कि दालों में हर्बीसाइड्स ग्लाइफोसेट के अवशेषों की उच्च मात्रा होने की संभावनाएं हैं, जो कि उपभोक्ता की सेहत के लिए हानिकारक हैं।
केनेडिन फूड इंसपेक्शन एजेंसी द्वारा दालों जैसे, मूंग दाल के हजारों नमूनों पर किए गए रिचर्स में 282 प्रति कण अरब और 1000 कण प्रति अरब गलाइपोसेट पाया गया है, जो कि मानकों से कहीं अधिक है। एक कार्यकर्ता द्वारा दालों की गुणवत्ता को लेकर उठाएं गए सवाल के बाद यह शोध किया गया। चूंकि भारत में ग्लाइफोसेट के लिए स्टैंडर्ड क्वालिटी इंडेक्स नहीं है। भारतीय लोगों का आहार सालों से दूषित हो सकता है, जिसके बारे में लोग अनजान हैं।
ग्लाइफोसेट एक घातक रसायनकि पदार्थ है, जो खतपतवार को नष्ट करने में प्रयोग किया जाता है। यह केमिकल गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पोषक तत्वों को प्रभावित कर सकता है और शरीर की कई बीमारियों की जड़ बन सकता है।