नई दिल्ली,अब बंदर इन बीमारियों के इलाज में काम आएंगे. चीन के वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर जैसे कई इंसानी रोगों के इलाज के अध्ययन के लिए जीन में बदलाव कर पांच क्लोन बंदरों को जन्म दिया है. चीन का दावा है कि इससे चिकित्सा अनुसंधान में मदद मिलेगी. चीनी वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग अफ्रीका में पाए जाने वाले एक बंदर पर किया है.
उनका दावा है कि इस बंदर से बनाए गए पांच क्लोन बंदरों पर जैविक घड़ी यानी सर्केडियन रिदम संबंधी विकारों को लेकर शोध किया जाएगा. इन विकारों का संबंध कैंसर, नींद संबंधी समस्याओं, डिप्रेशन (अवसाद) और भूलने की बीमारी अल्जाइमर से होता है. सर्केडियन रिदम से ही हमारे सोने और उठने समेत शरीर की तमाम जैविक क्रियाएं संचालित होती हैं.
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, ‘यह पहली बार हुआ है जब बायोमेडिकल रिसर्च के लिए एक जीन परिवर्तित बंदर से कई क्लोन तैयार किए गए हैं. शंघाई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस ऑफ चाइनीज अकेडमी ऑफ साइंसेस में इन क्लोन बंदरों का जन्म हुआ.’ बताया जा रहा है कि इन बंदरों में इन बीमारियों के लक्षण दिखने भी लगे हैं. अब इन बंदरों के जरिए इन बीमारियों के इंसानों पर प्रभाव और इनके इलाज पर रिसर्च किया जाएगा.
चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली के अनुसार, ‘इन क्लोन से इंसानों की समस्याओं पर शोध करने का रास्ता प्रशस्त होगा. ये समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से गंभीर बन चुकी हैं. क्लोन बंदरों में नींद संबंधी विकारों समेत कई नकारात्मक बर्ताव के संकेत दिखने लगे हैं. उनमें व्यग्रता के साथ ही सिजोफ्रेनिया जैसा व्यवहार भी दिख रहा है.’
जीन एडिटिंग तकनीक पर हमेशा से नैतिकता विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. पिछले नवंबर में जब चीन ने भ्रूण के स्तर पर ही जीन एडिटिंग की प्रक्रिया को अंजाम देकर दो जुड़वां बहनों लुलु और नाना के जन्म की बात कही थी तब भी इसे मानवता विरोधी बताते हुए दुनिया भर में इसकी आलोचना हुई थी. चीन ने दोनों जुड़वां बच्चियों को जीन एडिटिंग के जरिए भविष्य में होने वाले HIV के खतरे से मुक्त करने की बात कही थी.