भाई मुलायम सिंह के जन्मदिन के मौके पर इंतजार कर रहे शिवपाल सिंह यादव को गुरूवार को मायूसी का सामना करना पड़ा। मुलायम सिंह यादव के जन्मदिवस को यादगार बनाने के लिये शिवपाल सिंह की नवोदित पार्टी ने सैफई में तगड़ा बंदोबस्त कर रखा था मगर इस मौके पर आयोजित समारोह में मुलायम सिंह के ना आने से शिवपाल सिंह खेमा मायूस नज़र आया।
असल में शिवपाल सिंह को पूरी उम्मीद थी कि उनके बड़े भाई अपने जन्मदिन के मौके पर सैफई में आयोजित होने वाले समारोह में जरूर मौजूद होंगे। ऐसा संभव भी लग रहा था क्योंकि लखनऊ से मुलायम सिंह यादव के निजी सचिव की तरफ से इस बात की जानकारी इटावा के नगर मजिस्ट्रेट को भी प्रदत्त कर दी गई थी। मुलायम सिंह के यहां पहुंचने की खबर के मद्देनजर पूरे का पूरा सुरक्षा दस्ता सैफई हवाई पट्टी पर मुस्तैद कर दिया गया।
सुरक्षा दस्ते में सैफई के उपजिलाधिकारी हेम सिंह और सैफई के पुलिस उपाधीक्षक निर्मल सिंह बिष्ट समेत तमाम अफसर मौजूद रहे लेकिन दोपहर बाद मुलायम का प्रोग्राम रद्द कर दिया गया। बड़े भाई के इस कदम से मायूस शिवपाल सिंह ने आखिर इसकी भड़ास जाहिर भी की। उन्होने मुलायम सिंह को चापलूसों की मंडली से सजग रहने की सलाह भी दे डाली।। शिवपाल सिंह ने मुलायम सिंह के साथ साथ अपने भतीजे अखिलेश यादव को भी निशाना पर लिया। उन्होेंने कहा कि जिन लोगों ने कभी भी जमीनी तौर पर पार्टी के लिए कोई काम नही किया वे आज बड़े बड़े पदो पर विराजमान है।
सपा सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश के दौरे पर गए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव को सैफई जाने से रोकने के लिए देर रात ही लखनऊ पहुंच गए थे और उन्होंने सुबह जाकर के सबसे पहले अपने पिता से अपने बच्चों के साथ मिलकर के जन्मदिन की ना केवल उनको बधाई दी बल्कि उनसे आशीर्वाद भी लिया अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद मुलायम सिंह सपा मुख्यालय पहुंचे जहां उन्होंने कार्यकर्ताओं को पार्टी की मजबूती के लिये काम करने को कहा।
सूत्रों के मुताबिक, मुलायम सिंह,अपने भाई शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में जाकर के उत्साहवर्धन करते हैं लेकिन मुलायम सिंह की जुबान पर हर बार समाजवादी पार्टी की ही बात रहती है। एेसे मे, अगर मुलायम सिंह,सैफई मे प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के समारोह में हिस्सेदारी करने के लिए पहुंचते तो सैफई और आसपास के इलाकों में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के पक्ष में बड़ा संदेश जाता और शिवपाल सिंह का जनाधार भी बढ़ता। जोकि अखिलेश यादव के लिये नुकसान दायक होता।