नई दिल्ली, मोदी सरकार जल्द ही शॉपिंग मॉल, सुपर मार्केट, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में पेट्रोल और डीजल बेचने के प्रस्ताव को मंजूर कर सकती है. पेट्रोल और डीजल की आसानी के उपलब्ध्ता के मकसद से सरकार यह कदम उठा सकती है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय एक कैबिनेट प्रस्ताव तैयार करने जा रहा है. इसके तहत कंपनियों फुटकर कारोबार में उतरने का मौका मिल सकता है. मौजूदा नियमों मुताबिक तेल के खुदरा कारोबार में उतरने के लिए कंपनी के पास घरेलू बाजार में बुनियादी ढांचा निवेश के लिए 2,000 करोड़ रुपये होने चाहिए या उसे 30 लाख टन कच्चे तेल की खरीद के लिए जरूरी राशि के बराबर की बैंक गारंटी देनी होगी.
सरकार इन नियमों को और आसान कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो फ्यूचर समूह और वॉलमार्ट जैसी मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनियां पेट्रोल- डीजल भी बेचने लगेंगी. पेट्रोलियम मंत्रालय ने अक्टूबर 2018 में फ्यूल रिटेल से जुड़े नियमों में बदलाव के लिए एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था. फ्यूल रिटेल मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया था. एक्सपर्ट कमिटी में पूर्व पेट्रोलियम सचिव जीसी चतुर्वेदी, पेट्रोलियम मंत्रालय के ज्वाइंट सचिव आशुतोष जिंदल, अर्थशास्त्री किरीट पारीख और एमए पठान शामिल है.
नियम आसान होने पर सऊदी अरामको जैसी दिग्गज इंटरनेशनल कंपनियों को भारत में रिटेल कारोबार में उतरने का मौका मिल जाएगा. अरामको भारत के खुदरा ईंधन कारोबार में अपना इंट्रेस्ट दिखा चुकी है. दरअसल, ब्रिटेन जैसे देशों में पहले से ही रिटेल में डीजल-पेट्रोल की बिक्री शुरु है. यो योजना वहां काफी सफल है.उसी को देखकर भारत में सुपर मार्केट में डीजल-पेट्रोल की बिक्री करने का आइडिया आया है.
ब्रिटेन की संस्था पेट्रोल रिटेलर्स एसोसिएशन (पीआरए) के अनुमान के मुताबिक अप्रैल में देश में पेट्रोल की कुल बिक्री में सुपरमार्केट की हिस्सेदारी करीब 49 फीसदी थी और डीजल की बिक्री में उसका 43 फीसदी योगदान रहा. वहां टेस्को, सेंसबरी, एस्डा और मॉरीसन ईंधन बेच रही हैं. भारत में इसकी मांग पहले से ही की जाती रही है. अब जाकर सरकार इस य़ोजना पर काम शुरु कर ही है. इससे ईंधन की पहुंच आम लोगों तक आसान हो जाएगी. पुणे में तो एक साल पहले ही घर-घर डीजल की आपूर्ति शुरु की गई थी.