चेन्नई, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की विरासत आज दूसरी पीढी को स्थानांतरित हो गयी। 49 साल बाद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानि डीएमके ने अपना नया अध्यक्ष चुन लिया.
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डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के निधन के बाद आज उनके बेटे एम.के. स्टालिन औपचारिक रूप से पार्टी के अध्यक्ष बन गए. स्टालिन पिछले काफी लंबे समय से बतौर कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी को चला रह थे. चेन्नई स्थित डीएमके हेडक्वार्टर में हुई पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक में स्टालिन को पार्टी का अगला अध्यक्ष चुना गया. पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ स्टालिन ने ही नामांकन किया था. वहीं पार्टी कोषाध्यक्ष के लिए वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगन के नाम पर मुहर लगी.
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स्टालिन के अध्यक्ष बनने के बाद डीएमके कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। जश्न में डूबे कार्यकर्ता स्टालिन को बधाई दे रहे हैं. अभी तक डीएमके के इतिहास में स्टालिन पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने वाले दूसरे ही नेता हैं. करुणानिधि के बीमार रहने के कारण अधिकांश समय घर में ही बिताने पर स्टालिन को जनवरी 2017 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. इससे पहले करुणानिधि 49 साल तक पार्टी के अध्यक्ष रहे थे.
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डीएमके ने जनरल काउंसिल की बैठक में करुणानिधि को भारत रत्न देने का प्रस्ताव पारित किया है. डीएमके ने केंद्र सरकार से करुणानिधि को भारत रत्न देने की मांग की है. करुणानिधि का 7 अगस्त को निधन हो गया था. उनके निधन के बाद डीएमके के उत्तराधिकारी की जंग तेज हो गई थी. पार्टी से निष्कासित बड़े भाई अलागिरी ने डीएमके पर अपना दावा ठोका था. अलागिरी ने दावा किया कि करुणानिधि के सच्चे कार्यकर्ता मेरे साथ हैं. लेकिन करुणानिधि ने काफी पहले ही स्टालिन को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर उन्हें डीएमके का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. वहीं संप्रग सरकार में केंद्रीय मंत्री बने रहने के बाद 2014 में अलागिरी को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था.
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