UPSC पास किये बिना अफसर बनाने की, मोदी सरकार ने की शुरूआत, हुयी तीखी आलोचना
June 11, 2018
नई दिल्ली, नरेंद्र मोदी सरकार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा पास किए बिना अब अफसर बनाने जा रही है. मोदी सरकार ने एक नई नीति के तहत अपनी सरकार में 10 अलग-अलग विभागों में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है. जिसकी तीखी आलोचना शुरू हो गयी है.
संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर आमतौर पर उन्हीं की नियुक्ति होती थी, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की हो, लेकिन सरकार ने इन पदों के लिए लैटरल वैकेन्सी निकाली है. रविवार को इन पदों पर नियुक्ति के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी की गई। सरकार अब इसके लिए सर्विस रूल में जरूरी बदलाव भी करेगी.
ये सभी नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर होंगी और 3 वर्षों के लिए होंगी. अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ तो 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है. इन पदों पर आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है जबकि न्यूनतम उम्र 40 साल है. इनका वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत जॉइंट सेक्रटरी वाला होगा. सारी सुविधा उसी अनुरूप ही मिलेगी. इन्हें सर्विस रूल की तरह काम करना होगा और दूसरी सुविधाएं भी उसी अनुरूप मिलेंगी.
सरकार के किसी मंत्रालय या विभाग में जॉइंट सेक्रटरी का पद काफी अहम होता है और तमाम बड़े नीतियों को अंतिम रूप देने में या उसके अमल में इनका अहम योगदान होता है। इनके चयन के लिए बस इंटरव्यू होगा और कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमिटी इनका इंटरव्यू लेगी। सरकार के इस फैसले के बाद प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले भी UPSC परीक्षा पास किए बिना बड़े अधिकारी बन सकते हैं.
योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं। आवेदन में योग्यता इस तरह तय की गई है कि उस हिसाब से कहीं भी 15 साल का अनुभव रखने वालों के सरकार के टॉप ब्यूरोक्रेसी में डायरेक्ट एंट्री का रास्ता खुल गया है। आवेदन देने की अंतिम तारीख 30 जुलाई है।
बिना UPSC पास किये अफसर बनाने की मोदी सरकार की शुरूआत की तीखी आलोचना शुरू हो गयी है. सबसे पहले, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार के फैसले पर ट्वीट कर कहा, ‘यह मनुवादी सरकार UPSC को दरकिनार कर बिना परीक्षा के नीतिगत व संयुक्त सचिव के महत्वपूर्ण पदों पर मनपसंद व्यक्तियों को कैसे नियुक्त कर सकती है? यह संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है. कल को ये बिना चुनाव के प्रधानमंत्री और कैबिनेट बना लेंगे. इन्होंने संविधान का मजाक बना दिया है.’
पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इससे उपलब्ध स्रोतों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनने का मौका मिलेगा. यह उपलब्ध स्रोतों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनने का एक प्रयत्न है. इसके पीछे प्रेरणा यह है कि यह हर भारतीय नागरिक को अपनी प्रतिभा और क्षमता के हिसाब से अपना विकास सुनिश्चित करने के लिए मौका देता है.’