नई दिल्ली, इस पूर्व विधायक ने फिर से बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का दामन थाम लिया है. इस नेता के बसपा ज्वाइन करने से ही राजनीति के समीकरण बदलने लगे है.
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने एक बार फिर से बसपा में शामिल हो गये है. वहीं मोहम्मद शहजाद की वापसी के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई हैं. मोहम्मद शहजाद बसपा के टिकट पर दो बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं. शहजाद के बसपा में फिर वापसी से समर्थकों में खुशी की लहर है. पार्टी नेताओं का कहना है कि शहजाद के बसपा में आने से पार्टी मजबूत होगी. मोहम्मद शहजाद की बसपा में वापसी के पीछे मानकपुर-आदमपुर उपचुनाव का दूसरा परिणाम माना जा रहा है. इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था.बता दें कि मोहम्मद शहजाद लंबे समय में से बसपा में वापसी का प्रयास कर रहे थे.
मोहम्मद शहजाद ने तीसरी बार बसपा की सदस्यता ली है. नवगठित प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव 2012 में शहजाद बहादराबाद सीट से बसपा के विधायक थे. उसके बाद 2007 में फिर से इसी सीट से वह विधानसभा पहुंचे. इसके साथ ही वह बसपा विधायक दल के नेता भी रहे. 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े. जिसमें वह अच्छे वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. 2012 में कलियर विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन वहाँ कांग्रेस के फुरकान अहमद से शिकस्त का सामना करना पड़ा. लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया गया. 2015 जिला पंचायत चुनाव से पहले एक बार फिर मोहम्मद शहजाद की बसपा में वापसी हुई. लेकिन यह सफर ज्यादा लम्बा नही चल पाया. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर बसपा प्रभारियों से उनका मनमुटाव सार्वजनिक होने के बाद उन्हें एक बार फिर से बसपा से बाहर निकाला गया. 2017 विधानसभा चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा. लेकिन इस चुनाव में बसपा और शहजाद दोनो को ही नुकसान झेलना पड़ा. अब एक बार फिर मोहम्मद शहजाद की बसपा में वापसी के बाद जिले की राजनीति के समीकरण बदले जाने तय हैं.