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कट्टरपंथ के खिलाफ, सरकार के हर कदम का देंगे साथ- मुस्लिम शिष्टमंडल

MODIनई दिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पिछले दिनों मुलाकात करने वाले मुस्लिम शिष्टमंडल में शामिल रहे कुछ धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों ने कहा है कि भारत जैसे सह-अस्तिव की भावना वाले देश में इस्लामिक स्टेट  और अलकायदा जैसे संगठन अपने मंसूबों में कभी सफल नहीं हो सकते तथा मुस्लिम संगठन एवं इमाम कट्टरपंथ पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के हर कदम का साथ देंगे।

मुस्लिम धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के एक शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी जिस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि भारतीय युवाओं ने कट्टरपंथ का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया है और इसका श्रेय भारत की पुरानी और साझा विरासत को जाता है। इस शिष्टमंडल की नुमाइंदगी कर रहे अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम मौलाना उमेर अहमद इलियासी ने कहा, कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ मुस्लिम समुदाय और उलेमाओं ने जो प्रयास किया है, प्रधानमंत्री ने उसकी तारीफ की। हमने भी उनको विश्वास दिलाया कि कट्टरपंथ पर अंकुश लगाने के लिए सरकार जो कदम उठाएगी उसमें हम उनका स्थान देते हैं।

उन्होंने कहा, आईएस और अलकायदा जैसे संगठन भारत में आज तक कामयाब नहीं हो सके और आगे भी सफल नहीं होंगे। इसकी वजह साफ है कि भारत का मुसलमान और हर नागरिक आतंकवाद एवं कट्टरपंथ के खिलाफ है। आगे भी इस तरह के संगठन अपने मंसूबे में सफल नहीं होंगे। शिष्टमंडल में शामिल रहे मुस्लिम बुद्धिजीवी और इंटरफेथ हारमनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख डॉक्टर ख्वाजा इफ्तिखार अहमद का कहना है, भारत के लागों में सह-अस्तित्व की भावना कूट-कूट कर भरी है। चाहे हिंदू हो या मुसलमान अथवा किसी दूसरे धर्म के लोग हों, सभी अमनपसंद हैं। आईएस जैसे संगठन यहां अपने मंसूबों में कभी सफल नहीं हो सकते।

अहमद ने कहा, भारत में सामाजिक सद्भाव लोगों के स्वभाव में है और यही बात भारतीय मुसलमानों को किसी इस्लामी देश के मुसलमानों से अलग बनाती है। ऐसे में किसी आतंकी संगठन के भारत में पैठ बनाने की आशंका निराधार है। उन्होंने कहा, अगर कहीं कट्टरपंथ है तो उसे दूर करने की जरूरत है। इसमें हम सभी को सरकार का साथ देना चाहिए। यही बात हमने प्रधानमत्री के समक्ष रखी है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी सरकार बनने के बाद से कुछ महीनों के अंतराल पर मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलते रहे हैं। उन्होंने 2015 और फिर पिछले साल भी मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी।

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