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तीन तलाक देने वालों का हो सामाजिक बहिष्कार-पर्सनल लॉ बोर्ड

नई दिल्ली,  देश भर में तीन तलाक पर छिड़ी बहस के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को ऐलान किया कि जो लोग शरिया कारणों के बिना तीन तलाक देंगे, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बोर्ड की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के दूसरे और अंतिम दिन आज यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बोर्ड ने तीन तलाक की व्यवस्था में किसी भी तरह का परिवर्तन करने से इंकार किया है लेकिन साथ ही तलाक के लिए एक आचार संहिता भी जारी की है। इसकी मदद से तलाक के मामलों के शरई निर्देशों की असली सूरत सामने रखी जा सकेगी।

मौलाना रहमानी ने बोर्ड की बैठक में पारित प्रस्ताव की चर्चा करते हुए बताया कि बोर्ड ने यह फैसला किया है कि बिना किसी शरई कारण के एक ही बार में तीन तलाक देने वाले लोगों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। उन्होंने कहा कि बोर्ड तमाम उलेमा और मस्जिदों के इमामों से अपील करता है कि इस कोड आफ कंडक्ट को जुमे की नमाज के खुतबे में पढ़कर नमाजियों को जरूर सुनाएं और उस पर अमल करने पर जोर दें। वहीं बोर्ड ने बाबरी मस्जिद मुद्दे पर कहा कि वे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे।

देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिये आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 11 अप्रैल को कहा था कि वह सोशल मीडिया का सहारा लेगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि अगले डेढ़ साल में तीन तलाक को खत्म कर दिया जाएगा। इस मामले में उन्होंने सरकार को दखल न देने को कहा था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 30 मार्च को एक बड़ा फैसला लेते हुए तीन तलाक और तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के मामले सुनने के लिए संविधान पीठ का गठन किया था। पांच जजों की यह पीठ 11 मई से इस मामले की सुनवाई करेगी। पीठ में मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर भी हो सकते हैं।

जून तक चलने वाले अवकाश काल में संभवतः तीन संविधान पीठें बैठेंगी, जो तीन तलाक के अलावा दो अन्य मुद्दों पर सुनवाई करेंगी। इस पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सुनवाई का विरोध किया था। बोर्ड ने कहा था कि कोर्ट धर्म से जुडे मसलों को संविधान की कसौटी पर नहीं कस सकता। मौलिक अधिकार व्यक्ति के खिलाफ लागू नहीं किये जा सकते। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दी लिखित दलीलों में कहा है कि तीन तलाक पवित्र कुरान में उल्लेखित है जिसे संविधान की कसौटियों पर तोलना करान के फिर से लिखने जैसा होगा जिसकी इजाजत नहीं है। वहीं कई मुस्लिम महिला संगठनों तथा तीन तलाक की पीड़ितों ने कहा है कि तीन तलाक बेहद गलत और महिलाओं के खिलाफ है। पुरुष फोन पर तलाक देकर महिला को सड़क पर कर देते हैं न तो उसे भरण पोषण भत्ता मिलता है और न ही कोई सुरक्षा, जिससे उसका जीवन नरक हो जाता है। तीन तलाक और बहुविवाह असंवैधानिकः सरकार केंद्र सरकार ने तीन तलाक और बहुविवाह को असंवैधानिक करार दिया है और वह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में है। सरकार ने कहा है कि मुस्लिम देशों में तीन तलाक की प्रथा नहीं है जबकि मुस्लिम धर्म वहीं से आया है।