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मुड़िया पूनो मेले में मिट गया है अपने पराए का भेद

मथुरा, गिर्राज जी की तलहटी में चल रहे मुड़िया पूनो मेले में लगे दर्जनों भंडारों पर अपने पराए का भेद मिट गया है।

उदारमना और दानी लोग मुड़िया पूनो मेले में परिक्रमार्थियों के लिए परिक्रमा मार्ग पर ही भंडारे का आयोजन करते हैं। इस बार भी ऐसे दर्जनों लोगों द्वारा मिल जुल कर भंडारों की व्यवस्था की गई है। कुछ भंडारों में पूड़ी कचौड़ी की व्यवस्था की गई है तो अन्य भंडारों में कढ़ी चावल और खीर की व्यवस्था की गई है। कई भंडारों में सुबह तले चने और हलुवा के साथ चाय की व्यवस्था की गई है तो अन्य भंडारों में लस्सी, पकौड़ी , शरबत, फल, कूटू के आटे की पकौड़ी आदि की व्यवस्था की गई है।वैसे निःशुल्क चाय वितरित करने की व्यवस्था दर्जनों स्थानों पर उदारमना लोगों द्वारा की गई है।

अधिकांश भंडारों के आयोजक सामान का वितरण करते समय यह घ्यान रखते हैं कि उनके अंदर यह भाव न आए कि वे दान दे रहे हैं । वे घट घट में भगवान के दर्शन कर रहे हैं। वे अपने भंडारे का प्रचार भी नही चाहते और लोगों से हाथ जोड़कर आग्रहपूर्व भंडारे में पसाद ग्रहण करने का अनुरोध करते हैं।एक भंडारे के आयोजको ने कहा कि जो भी प्रसाद वे वितरित कर रहे है उसमें उनका कोई योगदान नही है । उनका कहना था कि वे भाग्यशाली हैं कि ठाकुर ने उनके मन में सेवा का ऐसा भाव पैदा किया है।कुछ भंडारों में तो सीनियर सिटीजन के लिए मेज कुर्सी की भी व्यवस्था की गई है जिससे उसमें बैठकर वे आराम से प्रसाद ले सकें।

तीर्थयात्रियों की भीड़ अधिक होने के बावजूद पिछले वर्ष से कम है क्योंकि इस बार अधिक मास है और अधिक मास को पुरूषोत्तम मास कहा जाता है। ऐसी धारणा है कि पुरूषोत्तम मास में गिर्राज जी की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए बहुत से तीर्थयात्री मुड़िया पूनो मेंले में नही आए हैं।एक अनुमान के अनुसार अभी तक लगभग 40 लाख लोगों ने ही परिक्रमा की है जब कि सरकारी अनुमान में अनुसार इनकी संख्या 35 लाख ही है।

मेला अधिकारी विजय शंकर दुबे ने इसकी पुष्टि की है। पिछले वर्षों में अब तक यह संख्या 70 लाख पार कर जाती थी। कुल मिलाकर गोवर्धन में चल रहे इस मेले में जो भी तीर्थयात्री परिक्रमा कर रहे है। उनका उत्साह देखते ही बनता है।