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बालगृह में रहकर पढ़ रही बालिका को 12वीं में मिले 76.4 %, माता पिता बिनते थे कूड़ा

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के 11 वर्ष की छोटी सी उम्र में अपने माता-पिता से बिछड़ी और बालिका गृह में रहकर पढ़ने वाली पंड़ित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय बालिका विद्यालय की 12वीं छात्रा दीपा उर्फ चंपा ने इस बार सीबीएसई की परीक्षा में 76.4 फीसद अंक प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का डंका बजा दिया है।

बाल गृह (बालिका)के निदेशक वेदपाल सिंह और इस केंद्र की देखभाल करने वाले रवि मनवाल ने  बताया कि यह बालिका पश्चिमी बंगाल के नादिया जिले के किन्नूबांस पारा गांव के स्वर्गीय शंकरदेव नाथ और नमिता दास की बेटी है। कुछ साल पहले यह अपने माता-पिता से बिछुड़ गई थी। इसके माता-पिता कूड़ा बीनने का काम करते थे। स्थानीय प्रशासन ने जब इसके माता-पिता की तलाश की तो पता चला कि उसके पिता शंकर देव नाथ की मृत्यु हो चुकी है और माता नमिता दास का कुछ अता-पता नहीं है।

श्री मन्नान ने बताया कि इस बालिका ने पूरी लगन और मेहनत के साथ बालिका गृह में रहकर 6वीं, 7वी, 8वी, 11वीं की परीक्षा पास की है। खास बात यह है कि दीपा ने दो वर्ष पूर्व 10वीं की परीक्षा में भी 76.7 फीसद अंक प्राप्त कर प्रदेश के बाल गृहों में रहने वाली छात्राओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।

उन्हाेंने बताया कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और तत्कालीन प्रमुख सचिव रेणुका कुमार (वर्तमान में प्रमुख सचिव राजस्व विभाग) ने इस प्रतिभाशाली, बेसहारा छात्रा दीपा को 51 हजार की पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया था।
महापौर संजीव वालिया, जिले के प्रभारी मंत्री सूर्यप्रताप साही, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 धर्मसिंह सैनी, कमिश्नर संजय कुमार, डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल, जिलाधिकारी अखिलेश सिंह आदि बड़ी सख्सियतों ने दीपा की इस सफलता पर प्रसन्नता जताई और उसको बधाइयां दीं।

स्कूल की पूर्व प्रधानाचार्या डाॅ0 शोभा रानी शर्मा, शिक्षिका निधि राणा ने बताया कि शुरू से ही दीपा प्रतिभाशाली थी। उसने अपने माता-पिता की कमी होने के बावजूद अपनी बौद्धिक क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया और बेसहारा बालक-ंबालिकाओं की प्रेरणा बनी।