अखिलेश यादव ने योगी सरकार के बजट का किया पोस्टमार्टम, बतायी ये बातें….
February 16, 2018
लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव ने कहा है कि यह दुःखद है कि भाजपा सरकार प्रदेश में छल कपट,
रागद्वेष और धोखाधड़ी की राजनीति को बढ़ावा दे रही है।
लोकतंत्र में
पारदर्शिता और साध्य-साधन की पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है लेकिन
भाजपा की राज्य सरकार ने वर्ष 2018 -19 का जो बजट आज पेश किया है उसमें
अनर्गल बयानबाजी और वादों का अम्बार हैं। इसमें नागरिक सुरक्षा, नौजवानों
के भविष्य और किसानों को लूट से मुक्ति दिलाने की दिशा में किसी समयबद्ध
योजना का दूर-दूर तक पता नहीं। यह बजट इस तरह विकास की दृष्टि से पूर्णतः
निराशाजनक, हतोत्साहित करने वाला तथा प्रदेश के भविष्य को अंधकार युग में
ले जाने वाला साबित होगा।
भाजपा सरकार ने 4 लाख 28 हजार 384 करोड़ 52 लाख रूपए का जो बजट पेश
किया है उसमें 44 हजार 53 करोड़ 32 लाख रूपए का राजकोषीय घाटा अनुमानित है
जो वर्ष 2018-19 के लिए अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.96 प्रतिशत
है। राज्य की ऋणग्रस्तता सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 29.8 प्रतिशत
अनुमानित है। स्पष्ट है कि लोककल्याण संकल्प-पत्र में विकास की संकल्पना
पूरी तरह भ्रामक है।
भाजपा सरकार का यह दूसरा बजट था जबकि पहले बजट का व्यय अस्पष्ट है। जिन
मदों में धनराशि पहले बजट में रखी गई थी उसका भी क्या हुआ, पता नहीं चला।
अच्छा होता पहले का हिसाब दिया जाता कि कहां गया राजकोष का ब्योरा। विगत
एक वर्ष में भाजपा सरकार की उपलब्धि सिफर रही है। आखिर यह भाजपा सरकार
समाजवादी सरकार के कामों के सहारे कब तक अपनी गाड़ी खींचेगी?
पूरे बजट में रोजगार की योजनाओं का कोई उल्लेख नहीं है। स्टार्ट
अप, ईज आॅफ इण्डिया बिजनेस, समिट के सुनहरे सपने तो बढ़चढ़कर दिखाए गए है
पर रोजगार की योजनाएं नदारद हैं। बजट में जनकल्याण की किसी नई योजना का
जिक्र नहीं है। समाजवादी सरकार के समय की तमाम योजनाओं का नाम बदलकर
उन्हें ही लागू किया जा रहा है। लेकिन भाजपा सरकार इसके लिए समाजवादी
सरकार का नाम लेने की नैतिकता भी नहीं निभाती है, कृतज्ञता ज्ञापन तो दूर
की बात है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बजट में अपराध नियंत्रण की कोई ठोस
योजना सामने नहीं आई है। महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं
कम नही हो रही है। एनकाउण्टर के नाम पर न निर्दोषों की हत्यायें रूक रही
है और न पुलिस थानों पर भाजपा नेताओं के हमले रूक रहे हैं। प्रदेश में
अराजकता और जंगलराज की स्थिति है।
समाजवादी सरकार ने जनहित की जो तमाम
योजनाएं लागू की थी उनमें से कई भाजपा के रागद्वेष की शिकार हो गई हैं।
समाजवादी पेंशन, य शभारती पेंशन, बंद हो गई है। अल्पसंख्यक दहशत में जी
रहे हैं। व्यापारियों के लिए बजट में कोई सुविधा नहीं है। अधिवक्ताओं,
शिक्षामित्रों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कोई जिक्र नहीं हैं।
भाजपा ने ऐसा बजट दिया है जो दिशशून्यता की ओर ले जाता है। भाजपा ने
5 साल में 70 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, साल भर में कोई नौकरी
नहीं मिली। 33000 पुलिस भर्ती की घोषणा भी हवाई साबित हुई। प्रधानमंत्री
जी की स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए कोई धन नहीं दिया गया फिर प्रदेश के
1.6 करोड़ परिवारों को कैसे बीमा का लाभ मिल पाएगा?
कृषि के मद में भाजपा
ने 36653 करोड़ रूपए पिछले बजट में रखे थे कहां गया बजट? किस किसान का
कितना कर्जा माफ हुआ? जबकि कर्जे के बोझ से किसान आज भी आत्महत्या करने
को मजबूर है। 2017 के संकल्प-पत्र में लैपटाप वितरण का भी वादा था उसका
कोई जिक्र नहीं है। अपने को किसान हितैशी बताने वाली भाजपा सरकार का
किसानों के साथ यह धोखा, किसानों के साथ दुश्मनी जैसा बर्ताव है।