Breaking News

होम्योपैथिक द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है स्ट्रोक

स्ट्रोक का मतलब मांसपेशियों के गति का समाप्त हो जाना तथा शरीर के जिन हिस्सो में लकवा मारता है जैसे हाथों, चेहरे व पैर आदि उन विशेष  हिस्सों की मांसपेशियों की गति समाप्त हो जाती है। मांसपेशियों की गति के साथ-साथ इसमें संवेदना का अभाव हो जाता है जिससे उस व्यक्ति हो उस स्थान पर दर्द, ठंडक, गर्मी आदि का अहसास नहीं होता है। लम्बे समय तक लकवाग्रस्त रोगी में प्रभावित भाग का रक्त प्रवाह एवं अन्य मेटाबोलिक क्रियाएं लगभग बंद हो जाती हैं। जिससे उस अंग की मांसपेशियां सूखने लगती हैं जिससे बहुत गम्भीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

डॉ कुशल बनर्जी एम डी ;(होम) एमएससी (ऑक्सन ) के अनुसार स्ट्रोक के लक्षणों की गंभीरता भिन्न हो सकती है। ये मामूली ;आँखों में धुंधलापन या जबान के हलके लड़खड़ाने से काफी गंभीर ;शरीर के अंगों और श्वसन जैसे महत्वपूर्ण कार्य में रूकावट हो सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि कम तापमान और वायुमंडलीय तापमान में  व्यापक उतार-चढ़ाव से लोगों में स्ट्रोक की सम्भावना बढ़ जाती है और इस स्ट्रोक द्वारा मृत्यु भी हो सकती है।

अन्य कारक
सर्दी के मौसम में स्ट्रोक की समस्या ज्यादा होती है। इस मौसम में ज्यादा ऑयली वाला भोजन और शराब के सेवन से बचें। यह उन रोगियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिन्हें उच्च रक्तचाप मधुमेह पुराने फेफड़े के रोग जैसी मौजूदा बीमारियों और बढ़ती उम्र के कारण स्ट्रोक होने का खतरा ज्यादा है।

सर्दियों के आने के बाद गलत खानपान खाने, शराब पीने की आदत होने के कारण और स्वस्थ गतिविधियों को छोड़ने से ठंड के समाप्त होने से पहले ही आपको दीर्घकालिक या स्थायी विकलांगता हो सकती है।

ब्लड प्रेशर की देखभाल करनी चाहिए। किसी अंग में अचानक सुन्नता,जबान का लड़खड़ाना या मुंह के छाले के अचानक सूख जाने पर तुरंत निकटतम अस्पताल को सूचित किया जाना चाहिए।
है।
होम्योपैथी में स्ट्रोक का नियंत्रण
एकोनाइट और अर्निका जैसी होम्योपैथिक दवाएं स्ट्रोक के विकास को नियंत्रित करने और रक्त चाप को बहाल करने के प्रयास में बेहद प्रभावी हैं। स्ट्रोक द्वारा विकलांग रोगियों में होम्योपैथिक दवाएं जैसे कॉस्टिकम और रश टॉक्स का उपयोग अक्सर ठीक होने की अवधि को कम करने और खोई हुई कार्यक्षमता को बहाल करने के लिए किया जाता है।