जस्टिस ए. ए. कुरैशी मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने, केंद्र सरकार को दिया समय
August 2, 2019
नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए. ए. कुरैशी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति की कॉलेजियम की अनुशंसा पर केंद्र सरकार को 14 अगस्त तक निर्णय लेने का शुक्रवार को निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने केंद्र को यह समय सीमा उस वक्त दी जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उसे अवगत कराया कि संसद सत्र को बढ़ा दिया गया है। ऐसे में सरकार को कम से कम दस दिन का और समय दिया जाना चाहिए।पीठ ने कहा, “आपको जो भी फैसला लेना है, वह लें और अदालत के समक्ष उसे रखें।” साथ ही कहा कि इसे न्यायपालिका के समक्ष या फिर प्रशासन के समक्ष रखा जा सकता है।
पीठ गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें केंद्र को न्यायमूर्ति कुरैशी की नियुक्ति के संबंध में शीर्ष अदालत के कॉलेजियम की 10 मई की अनुशंसा पर कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति कुरैशी वर्तमान मे बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं और कॉलेजियम ने उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की अनुशंसा की है।
इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे। 22 जुलाई को केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस ए ए कुरैशी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाये जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम की सिफारिश पर फैसला लेने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा। जस्टिस अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने के लिए सुप्रीमकोर्ट कोलिजियम ने 10 मई को केन्द्र को सिफारिश भेजी थी लेकिन केन्द्र सरकार ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया।
गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एए कुरैशी मुंबई हाईकोर्ट में वरिषठम जज है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलिजियम की सिफारिश भेजी थी, लेकिन केन्द्र ने कॉलेजियम की सिफारिश को दरकिनार कर दिया था। इस मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट के वकीलों ने कानून मंत्री से मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन कानून मंत्री वकीलों से मिलने से भी इनकार कर दिया था। जिसके बाद एडवोकेट एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
सरकार ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में सुप्रीमकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को लंबित रखा है। वहीं सरकार ने सिफारिश के उलट संविधान की धारा 223 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति की तरफ से मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के सबसे सीनियर जज रविशंकर झा की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति कर दी थी। जस्टिस झा से पहले कॉलेजियम ने मध्यप्रदेश हाइकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार सेठ के सेवानिवृत्त होने के बाद मुख्य न्यायाधीश पद के लिए जस्टिस एए कुरैशी के नाम को सिफारिश की थी।