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हाशिमपुरा नरसंहार मामले पर हाईकोर्ट ने दिया ये फैसला…

नई दिल्ली, 31 साल के लंबे इंतजार के बाद आज दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हाशिमपुरा नरसंहार (1987) मामले में एक खास समुदाय के 42 लोगों की हत्या में 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

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जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें उसने आरोपियों को बरी कर दिया था। हाई कोर्ट ने प्रादेशिक आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 16 पूर्व जवानों को हत्या, अपहरण, आपराधिक साजिश और सबूतों को नष्ट करने का दोषी करार दिया। अदालत ने नरसंहार को पुलिस द्वारा निहत्थे और निरीह लोगों की ‘लक्षित हत्या’ करार दिया।

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उत्तर प्रदेश राज्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और नरसंहार में बचे जुल्फिकार नासिर सहित कुछ निजी पक्षों की अपीलों पर हाई कोर्ट ने 6 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। निचली अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए मेरठ में 42 लोगों की हत्या के आरोपी 16 प्रोविंशियल आर्म्ड कांस्टेबुलरी कर्मियों को बरी कर दिया था।

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बता दें कि 31 साल पहले मई 1987 में मेरठ के हाशिमपुरा में 42 लोगों की हत्या कर दी गई थी। आज सजा के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी भी इसकी तस्दीक कर रही है कि यह हत्या मनुष्यता के खिलाफ थी? सही मायने में आजादी के बाद यह सामूहिक नरसंहार उत्तर माथे पर ऐसा कलंक है, जो कभी नहीं मिटाया जा सकता है।