भारतीय संस्कृति की पुरानी परम्परा मानव अधिकारों का स्रोत- न्यायमूर्ति के0पी0 सिंह
December 11, 2019
लखनऊ, भारतीय संस्कृति की पुरानी परम्परा मानव अधिकारों का स्रोत है और इसकी शिक्षा आरम्भ से ही विद्यालयों में दी जानी चाहिए। यह बात मानवाधिकार आयोग के मा0 सदस्य न्यायमूर्ति श्री के0पी0 सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी को संस्कार दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है जो अधिकारों के साथ-साथ समाज एवं राष्ट्रहित में अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हों। न्यायमूर्ति श्री के0पी0 सिंह आज मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोग कार्यालय परिसर स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में आयोग के मा0 सदस्य श्री ओ0पी0 दीक्षित द्वारा अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा गया कि इस दिवस को वृहद रुप में मनाया जाना चाहिये जिसमें हमें उन लोगों, जैसे-पुलिसकर्मी, जेलकर्मी आदि को भी शामिल किया जाना चाहिए जिन पर मानव अधिकार के संरक्षण का भार है एवं उनके द्वारा आम नागरिकों को मानवाधिकारों के प्रति संरक्षण प्राप्त हो सकता है।
आयोग के सचिव श्री शशि भूषण लाल सुशील ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव का सन्देश श्रोताओं से साझा किया जिसमें यह बताया गया कि युवा पीढ़ी की भूमिका आज मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है जिससे भविष्य में न्याय एवं विश्व शान्ति का वातावरण बन सकता है।
इस अवसर पर श्रीमती इन्दु सुभाष द्वारा बुजुर्गों एवं वरिष्ठ नागरिकों के मानव अधिकारों के सम्बंध में एक लघु नाटिका एवं सार्थक गु्रप द्वारा बाल श्रम विषय पर एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गयी तथा आयोग द्वारा लघु फिल्म के माध्यम से मानवाधिकारों के संरक्षण के सम्बंध में सन्देश दिये गये।
इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को मानवाधिकार संरक्षण से सम्बंधित शपथ दिलायी गयी। कार्यक्रम में आयोग के विधि अधिकारी, श्री विकास सक्सेना, एच0जे0एस0 ने भी आभार एवं धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन आयोग में तैनात वित्त एवं लेखाधिकारी श्रीमती पूजा रमन द्वारा किया गया जिसमें आयोग के मा0 सदस्य श्री ओ0पी0 दीक्षित, आयोग के सचिव श्री शशि भूषण लाल सुशील, विधि अधिकारी श्री विकास सक्सेना तथा अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।