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हम आकाशवाणी के रामपुर केंद्र से बोल रहे हैं…

रामपुर , ‘हम आकाशवाणी के रामपुर केंद्र से बोल रहे हैं।’ पिछले 57 वर्षों से कानों में रस घोल रही यह आवाज श्रोताओं को मनोरंजन के साथ विविध जानकारियां दे रही है। आकाशवाणी का रामपुर केंद्र 57 वर्ष पूरे कर आज 58वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है।

अपनी स्थापना के 57 साल पूरे कर चुके आकाशवाणी के रामपुर केन्द्र की कार्यक्रम प्रमुख मंदीप कौर ने बताया कि रेडियो श्रोताओं के लिये यह केन्द्र जानकारियों का खजाना बन गया। लोगों में ये उद्घोषणा, “यह आकाशवाणी का रामपुर केंद्र है। हम 336.7 मीटर यानी 891 किलो हर्ट्स से बोल रहे हैं। पेश है आपका पसंदीदा कार्यक्रम…श्रोताओं को मानो उनको अपनी आवाज महसूस होती है।

उन्होंने बताया कि 25 जुलाई, 1965 में रोपा गया यह पौधा अब वटवृक्ष बन चुका है। अपनी सुंगध और रसीले फल से ना सिर्फ अदब का गहवारा रामपुर बल्कि मुरादाबाद मण्डल, बरेली मंडल और पीलीभीत के साथ-साथ उत्तराखंड के उधम सिंह नगर तक संस्कृति, कला और साहित्य को जन-जन तक पहुंचा रहा है। कौर के मुताबिक आकाशवाणी में बाल्यावस्था के लिए किलकारियां, किशोरावस्था के लिए अठखेलियां और युवा अवस्था के लिए ऊर्जा से भरी जानकारियों का भण्डार है। इसके कार्यक्रमों में प्रौढ़ावस्था की गंभीरता भी है।

श्रोताओं के अपार स्नेह को अपने आंचल में समेटे अपना 58वां स्थापना दिवस मना रहा आकाशवाणी रामपुर केंद्र समय के साथ पुरानी तकनीकि को छोड़ आज केंद्र पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड हो चुका है। उन्होंने बताया कि रामपुर के अंतिम नवाब रजा अली खान बहादुर को संगीत का काफी शौक था। मर्जर एक्ट लागू होने पर रामपुर रियासत का जब संघीय ढांचे में विलय किया गया तब नवाब रज़ा अली ख़ान बहादुर ने आकाशवाणी की स्थापना की शर्त रखी थी। यह शर्त ही इस केन्द्र की बुनियाद बनी।

कौर के मुताबिक आज भी कई कार्यक्रम स्थापना दिवस के समय से ही चल रहे हैं। आकाशवाणी रामपुर से लगातार 50 से अधिक कार्यक्रम का प्रसारण रोजाना होता है। ऑल इंडिया रेडियो मनोरंजन के साथ लोगों को विभिन्न जानकारियां देकर शिक्षित करने का काम भी कर रहा है।

आकाशवाणी ने अपने आप को दौड़ में बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर समय के अनुकूल उचित परिवर्तन किए जिससे कम हो रहे श्रोताओं में इजाफा हुआ। वरिष्ठ उदघोषक असीम सक्सैना ने बताया “ आज आकाशवाणी रामपुर की पहुंच करीब एक करोड़ से ज्यादा श्रोताओं तक है।”

आकाशवाणी ने विभिन्न कार्यक्रमों के साथ एफएम और मोबाइल एप के जरिये श्रोताओं के मोबाइल तक अपनी पहुंच पक्की की है। करामाती रेडियो को अब मोबाइल पर कहीं से भी सुना जा सकता है। संचार क्रांति आने के बाद मनोरंजन के साधनों में एकाएक अप्रत्याशित वृद्धि होने के बावजूद रेडियो ने अपनी स्वीकार्यता समाज के अंतिम व्यक्ति तक गांव-गांव, जन-जन, घर-घर तक पहुंचाई है। रेडियो को शहरी क्षेत्रों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र में आज भी संचार का सुलभ माध्यम माना जाता है।