देश मे अघोषित नोटबंदी, एटीएम हुये खाली, एफआरडीआई बिल का खौफ छाया
April 17, 2018
नई दिल्ली, देश के कई हिस्सों में एक बार फिर नगदी का संकट खड़ा हो गया है. कुछ जगह तो हालात अघोषित नोटबंदी जैसे हो गए हैं. कई राज्यों मे नगदी न होने के कारण एटीएम खाली हो गयें हैं.बैंकों मे पैसै लेने के लिये भीड़ जमा हो रही है.
देश में एक बार फिर नोटबंदी जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। कई राज्यों में तो नकदी संकट खड़ा हो गया है. यूपी, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में नकदी संकट पैदा हो गया है. इस कारण यहां के एटीएम खाली पड़े हैं. इन राज्यों में रिजर्व बैंक की ओर से नकदी का प्रवाह घटने के कारण ऐसे हालात बने हैं. बैंकों मे पैसै लेने के लिये भीड़ रूख कर रही है.
सूत्रों के अनुसार, सर्कुलेशन में 30 से 40 फीसदी करेंसी की कमी 2000 रुपये और 500 रुपये की करेंसी सर्कुलेशन से बाहर जाने के चलते पैदा हुई है. देशभर में लोगों को बैंकिंग व्यवस्था में संभावित बदलावों का डर पनप रहा है और लोग अधिक से अधिक पैसा बड़ी करेंसी में घर पर रखने को तरजीह दे रहे हैं. साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल इकोनॉमी बनाने के लिए कैश की राशनिंग कर रहा है जिससे कई राज्यों में कैश का संकट देखने को मिल रहा है.
देश के कई राज्यों में करेंसी संकट की खबरों के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने माना है कि कुछ राज्यों में यह संकट कैश की कमी के चलते देखने को मिल रहा है. इससे निपटने के लिए रिजर्व बैंक ने अंतरराज्यीय समिति का गठन किया है जो अगले तीन दिन में अन्य राज्यों से कैश संकट वाले राज्यों में कैश पहुंचाने का काम करेगी.
सूत्रों के अनुसार, देशभर में लोगों में केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एफआरडीआई बिल का खौफ है, लिहाजा लोग बैंक में पैसा जमा करने की जगह कैश अपने पास रखने को तरजीह दे रहे हैं. प्रस्तावित एफआरडीआई बिल के जरिए केन्द्र सरकार सभी वित्तीय संस्थाओं जैसे बैंक, इंश्योरेंस कंपनी और अन्य वित्तीय संगठनों उनके डूबने की स्थिति में बचाने के लिये व फेल होने वाली संस्था को उबारने के लिए (बेल इन) कदम उठाने का भी अधिकार है. जहां बेल आउट के जरिए सरकार जनता के पैसे यानि बैंक ग्राहकों के पैसे से संकट में पड़े बैंक को उबारने का काम किया जायेगा.
एफआरडीआई बिल के इसी प्रावधान के चलते आम लोगों में डर है कि यदि उनका बैंक विफल होता है तो उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धोना पड़ सकता है. मौजूदा प्रावधान के मुताबिक किसी बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहक को उसके खाते में जमा कुल रकम में महज 1 लाख रुपये की गारंटी रहती है और बाकी पैसा लौटाने के लिए बैंक बाध्य नहीं रहते हैं.