रिसर्च एजेंसी की रिपोर्ट- धड़ल्ले से इस्तेमाल की जा रही हैं, नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाएं
August 12, 2018
वाशिंगटन, नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाएं विकासशील देशों में धड़ल्ले से इस्तेमाल की जा रही हैं। यह बात अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (यूएनसी) के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पता चली है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कम और मध्यम आय वाले देशों में 19 प्रतिशत मलेरिया रोधी और 12 प्रतिशत एंटीबॉयोटिक दवाएं नकली या खराब गुणवत्ता की थीं। यूएनसी में सहायक प्रोफेसर साचिको ओजावा ने कहा, ‘‘खराब गुणवत्ता वाली या नकली दवाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या है क्योंकि ये दवाएं अप्रभावी या नुकसानदेह हो सकती हैं और बीमारी को लंबे समय के लिए खींच सकती है, विषाक्तता को जन्म दे सकती है या शरीर पर खतरनाक नकारात्मक असर डाल सकती हैं।’’
दलित अत्याचार मामलों में, राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार के दावों की खोली पोल, पेश किये आंकड़ेवैज्ञानिकों ने साथ ही कहा कि कम एवं मध्यम आय वाले देशों से नमूने के तौर पर ली गयी दवाओं में से 13 प्रतिशत दवाएं खराब गुणवत्ता की थीं। यूएनसी के प्रोफेसर जेम्स हेरिंगटन ने कहा, ‘‘हमें दवाओं की गुणवत्ता को लेकर कानून लागू करने, गुणवत्ता नियंत्रण क्षमता बढ़ाने और निगरानी एवं डेटा साझा संबंधी सुधार की जरूरत है।’’
वैज्ञानिकों का कहना है कि मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी सहित दूसरी बीमारियों की नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाएं विकासशील देशों में धड़ल्ले से इस्तेमाल की जा रही हैं। शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पता चला कि अफ्रीका में इस्तेमाल में लायी जा रही 19 प्रतिशत जरूरी दवाएं नकली या खराब गुणवत्ता की थीं।