नई दिल्ली, नोटबंदी से बुरी तरह जूझने के बाद अब लोगों के लिये सिक्कों को लेकर एक और परेशानी की खबर है. सिक्कों की सप्लाई पर नियंत्रण करने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2019 के लिए सिक्कों की अपनी पूरी योजना में बदलाव किया है.
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10 रुपए के सिक्कों के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 10 रुपये के सिक्कों की अपनी डिमांड घटाकर आधी करनी पड़ी है. इससे सर्कुलेशन में सिक्कों की कमी आने का डर पैदा हो गया है.ऑफिशियल डाक्यूमेंट्स के अनुसार, केंद्र सरकार की टकसालों के 10 रुपये के सिक्के के ब्लॉक समय पर खरीदने में असफल रहने के कारण सिक्कों की सप्लाई पर नियंत्रण करने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2019 के लिए सिक्कों की अपनी पूरी योजना में बदलाव किया है. एेसा रॉ मटीरियल खरीदने में देरी के चलते हुआ है.
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कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद और नोएडा में चार सरकारी टकसालों का कंट्रोल सिक्यॉरिटी प्रिंटिंग ऐंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL) के पास है. SPMCIL ने 5 और 10 रुपये के सिक्कों के ब्लॉक खरीदने में देरी के कारण अगस्त में RBI से सिक्कों के प्रॉडक्शन की योजना में बदलाव करने का निवेदन किया था.
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संशोधित योजना के अनुसार, चार मिंटिंग यूनिट्स को 10 रुपये के सिक्के के 200 करोड़ पीस ढालने के लिए कहा गया है. पहले इसके 400 करोड़ पीस बनाने की योजना थी. वित्त वर्ष 2018 में RBI की 10 रुपये के सिक्कों के 300 करोड़ पीस बनाने की योजना थी, लेकिन लॉजिस्टिक्स से जुड़ी समस्याओं के कारण टकसालें केवल 76 करोड़ पीस की सप्लाई ही कर सकी थी.
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संशोधित योजना के तहत, मिंटिंग यूनिट्स को 5 रुपये के सिक्कों का प्रोडक्शन बढ़ाने को कहा गया है. 2 रुपये के सिक्कों की डिमांड को भी लगभग पांच गुना बढ़ाया गया है. इसके साथ ही 1 रुपये के सिक्कों की डिमांड 101.9 करोड़ पीस से बढ़ाकर 200 करोड़ पीस की गई है.
मिंटिंग यूनिट्स ने बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए अपने कर्मचारियों से 31 मार्च, 2019 तक सप्ताह में 44-48 घंटों के बजाय 54 घंटे कार्य करने के लिए कहा है. इसके लिए कर्मचारियों को ओवरटाइम और अन्य भत्ते दिए जाएंगे.