सामाजिक न्याय संगोष्ठी मे उठा बड़ा सवाल-देश मे नोटबंदी हो सकती है तो जातिबंदी क्यों नहीं ?
September 17, 2018
लखनऊ, सामाजिक न्याय के नायक मान्यवर बी0पी0 मंडल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य मे विद्यार्थी चेतना फाउंडेशन द्वारा आयोजित संगोष्ठी मे सामाजिक न्याय मे सबसे बड़ी बाधा जाति को लेकर एक बड़ा सवाल उठा कि अगर देश मे नोटबंदी हो सकती है तो जातिबंदी क्यों नहीं ?
“वर्तमान परिदृश्य मे सामाजिक न्याय की प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुये आईपीएस अफसर डा0 बीपी अशोक गौतम ने कहा कि आज भी देश में ऐसे लोग हैं जो समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं। उन्होने कहा कि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा0 अमर्त्य सेन ने कहा है कि जाति से ज्यादा आतंककारी कुछ नहीं है। इसलिये जाति को समाप्त करने की जरूरत है। उन्होने बड़ा सवाल खड़ा करते हुये कहा कि जब देश मे नोटबंदी हो सकती है तो जातिबंदी क्यों नहीं हो सकती है।
डा0 बीपी अशोक गौतम ने कहा कि सामाजिक अन्याय करने वालोें की परंपरा तानों, धमकियों और आशीर्वादों से चलती है। उन्होने आरक्षण मे क्रीमीलेयर का विरोध करते हुये कहा कि क्रीमीलेयर का मतलब उन लोगों को सिरविहीन करना है जो पूरे वर्ग का नेतृत्व कर रहें हैं। उन्होने भारत मे महिला हितों की बात करते हुये कहा कि जो अपने मां, बेटी, बहू को हिस्सेदारी नहीं दे सकते वह आपको क्या देंगे।
आईपीएस अफसर ने युवाओं से अपील करते हुये कहा कि समस्याओं की बात मत करो, समाधान की बात करो। उन्होने युवाओं का आह्वाहन करते हुये कहा कि पैर छूने की नहीं, आसमान छूने की बात करो।
सामाजिक न्याय की बात को आगे बढ़ाते हुये सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव, राजबहादुर यादव ने सामाजिक न्याय की लड़ाई को अगड़े और पिछड़ों की लड़ाई बताया। उन्होने कहा कि यह समझना होगा कि ये अगड़ों पिंजड़ों की लड़ाई क्यों है । लखनऊ विश्वविध्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रो0 राधे श्याम यादव ने बताया कि सामाजिक न्याय के नायक मान्यवर बी0पी0 मंडल ने मंडल आयोग के चेयरमैन बनने के दौरान अन्य पिछड़े वर्ग की ३७४३ जातियों की पहचान की। उन्होने देश मे पिछड़ों की आबादी तब ५२ % बताई थी। प्रो0 राधे श्याम यादव ने बताया कि जातियों की संख्या बढ़कर अब ५००० से ऊपर हो गयी हैं। इसलिये देश मे अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी अब लगभग 65 प्रतिशत से ऊपर है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश वीरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि दूषित मानसिकता की कार्यपालिका ने सामाजिक न्याय को नुक्सान पहुंचाने का काम किया है। उन्होने कहा कि एेसी मानसिकता के अफसर सामाजिक न्याय की राह मे सबसे बड़ा रोड़ा है। उन्होने कहा कि गरीबों, दलितों, पिछड़ों को सामाजिक न्याय दिलवाने के लिये आरक्षित वर्ग के सभी लोग इस में योगदान दें।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये अवकाश प्राप्त जिला जज राजाराम यादव ने कहा कि आज संविधान पर हमला हो रहा है। अगर अब हम न चेते तो बहुत बड़ा नुकसान हो जायेगा। उन्होने सामाजिक न्याय के लिये संगठन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने कहा कि आने वाले छह महीने दलितों, पिछड़ों के लिये निर्णायक होंगे। समय की जरूरत है कि वर्तमान सरकार को बदल दिया जाय।
कार्यक्रम को प्रो0 आर0बी0एस0 वर्मा, लखनऊ विश्वविद्यालय, भूप सिंह यादव, सलाहकार हिंदी समिति रक्षा मंत्रालय, पूर्व न्यायधीश सैय्यद अब्बास हैदर रजा सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी का आयोजन, अखिल भारतीय कैफी आजमी अकादमी के सभागार मे किया गया, जिसमें भारी संख्या मे जज, अधिवक्ता, अधिकारी, समाजसेवी, साहित्यकारों आदि ने भाग लिया।विद्यार्थी चेतना फाउंडेशन के संयोजक महेंद्र सिंह यादव ने बताया कि यह सामाजिक न्याय परविद्यार्थी चेतना फाउंडेशन की दूसरी संगोष्ठी है। भविष्य मे इसतरह के आयोजन पूरे प्रदेश मे करने की योजना है।