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जानिये क्यों मायावती ने इस वरिष्ठ बसपा नेता से छीने सारे पद ?

झांसी , बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने संगठन को मजबूत बनाने के लिये निष्क्रिय नेताओं को उनको दी गयी जिम्मेदारी से मुक्त करने का काम शुरू कर दिया है। इसी क्रम मे, बुन्देलखण्ड और कानपुर जोन के प्रभारी नौशाद अली को आज उनके पद से हटा दिया है। उनके हटाने का कारण इन क्षेत्रों में पार्टी के गिरते ग्राफ को माना जा रहा है। इन क्षेत्रों का प्रभार राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को दिया गया है।

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2014 में लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव 2017 में , बुन्देलखण्ड और कानपुर जोन मे , बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार की जिम्मेदार पार्टी के मिशनरी और जमीनी कार्यकर्ता नौशाद अली को मान रहे थे। जिसको लेकर उनके विरोध में जगह-जगह प्रर्दशन भी हुए थे। नौशाद अली की मुखालफत झांसी और जालौन समेत अन्य स्थानों पर भी हुई थी।

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अधिकांश जगह उनका विरोध करते हुए पुतले जलाए गए और नौशाद अली के विरोध में नारेबाजी भी की गई लेकिन जिसने भी विरोध किया, उसे पार्टी से बाहर कर दिया गया। इससे बसपा का संगठन न सिर्फ कमजोर हुआ, उसे विभिन्न चुनावों में पराजय का मुंह भी देखना पड़ा। कार्यकर्ता तो नाराज हुए ही, बड़े नेता भी संगठन की यह दुर्दशा देख अन्य दलों में चले गए या फिर चुपचाप अपने घरों पर बैठ गए।

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पार्टी के लगातार गिरते ग्राफ ने आलाकमान को अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया। इनके साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे गयाचरन दिनकर, लालाराम अहिरवार और जितेन्द्र शंखवार भी बुन्देलखंड और कानपुर का प्रभार देंखेगे।

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