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राव तुलाराम अहीर की जयंती, श्रद्धा पूर्वक मनायी गई

rao-yularam-2चंडीगढ़,  हरियाणा ने आज अपने ” राज नायक” राव तुलाराम अहीर की जयंती श्रद्धा पूर्वक मनायी। इस अवसर पर पूरे हरियाणा मे आज सार्वजनिक अवकाश रहा। रावतुलाराम सेवा समिति की ओर से शहीद राव तुलाराम की जयंती कार्यक्रम मे फिजियो थैरेपी और डेंटल शिविर का आयोजन किया गया।

रेवाड़ी के राजा राव तुलाराम वह शख्सयित थे, जिन्होंने आजादी के पहले स्वाधीनता संग्राम मे अहम योगदान दिया था। राव तुलाराम  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्हे हरियाणा राज्य मे ” राज नायक” माना जाता है। विद्रोह काल मे, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण बिटिश हुकूमत को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर मे विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहायता प्रदान करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है। अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने के उद्देश्य से एक युद्ध लड़ने के लिए मदद लेने के लिए उन्होंने भारत छोड़ा तथा ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की, रूस के ज़ार के साथ सम्पर्क स्थापित करने की उनकी योजनाएँ थीं। इसी मध्य 38 वर्ष की आयु में 23 सितंबर 1863 को काबुल में उनकी मृत्यु हो गई। वहां उनका शाही सम्मान के साथ दाह संस्कार कर दिया गया।

हरियाणा का रेवाड़ी जिला जिसे अहिरवाल का लन्दन कहा जाता है और इस लन्दन के राव राजा तुलाराम थे। पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान को लेकर हरियाणा के लोग 23 सितम्बर का दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाते है और हरियाणा के साथ साथ रेवाड़ी के लोग अपने आप पर गर्व महसूस करते है कि वह ऐसी धरती पर जन्में है जिस धरती से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले राव तुलराम जन्में थे।

इनका जन्म हरियाणा राज्य के रेवाड़ी शहर में एक यादव (अहीर) परिवार में 09 दिसम्बर1825 को  रेवाड़ी के रामपुरा में हुआ था  इनके पिता का नाम राव पूरन सिंह तथा माता जी का नाम ज्ञान कुँवर था। इनके दादा का नाम राव तेज सिंह था। उनकी दो बड़ी बहनें थी। राव तुलाराम को तुलासिंह भी कहा जाता था।

राव तुलाराम की शिक्षा तब शुरू हुई जब वो पांच साल के थे। साथ-साथ ही उन्हें शस्त्र चलाने और घुड़सवारी की शिक्षा भी दी जा रही थी। राव तुलराम जब 14 साल के थे तब उनके पिता राव पूर्ण सिंह की मृत्यु हो गई और 14 दिनों बाद उन्हें राव पूर्ण सिंह की रियासत का राजा चुना गया तब से ही तुलाराम राव राजा तुलाराम बने। राव तुलाराम का राज्य कनीना, बवाल, फरुखनगर, गुड़गांव, फरीदाबाद, होडल और फिरोजपुर झिरका तक फैला हुआ था। रेवाड़ी का रामपुरा गांव राजा राव तुलाराम की रियासत हुआ करती थी और उनकी रियासत में पूरा दक्षिण हरियाणा आता था। 1857 की क्रांति मे राव तुलाराम ने खुद को स्वतंत्र घोषित करते हुये राजा की उपाधि धारण कर ली थी। उन्होने नसीबपुर नमक स्थान पर अंग्रेजों से युद्ध किया जिसमें उनके पाँच हजार से अधिक अहीर,राजपूत व ब्राह्मण सैनिक मारे गए थे। rao-tularam-1

1857 की क्रांति मे भागीदारी के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने 1859 मे, राव तुलाराम की रियासत को जब्त कर लिया था। परंतु उनकी दोनों पत्नियों का संपत्ति पर अधिकार कायम रखा गया था। 1877 मे उनकी उपाधि उनके पुत्र ‘राव युधिष्ठिर सिंह’ को अहिरवाल का मुखिया पदस्थ करके लौटा दी गयी।

23 सितम्बर 2001, को भारत सरकार ने महाराजा राव तुलाराम की स्मृति मे डाक टिकट जारी किया। उनके सम्मान मे बने, जफरपुर कलाँ का “राव तुलाराम मेमोरियल चिकित्सालय, महाराजा राव तुलाराम मार्ग पर स्थित ‘रक्षा अध्ययन व विश्लेषण संस्थान’ व महाराजा राव तुलाराम पोलिटेक्निक, वजीरपुर चिराग दिल्ली मे प्रमुख है। साथ ही राव तुलाराम चिकित्सालय दिल्ली मे धंसा रोड के रावता मोड के निकट जफरपुर पुलिस स्टेशन के पास स्थित है।

 

 

 

 

 

 

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