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सीमित ओवरों की कप्तानी के लिये बेहतर तरीके से तैयार हूं- विराट कोहली

viratनयी दिल्ली,  टेस्ट कप्तानी दिये जाने से विराट कोहली हैरान रह गये थे लेकिन अब उनका कहना है कि वह सीमित ओवर के प्रारूप में टीम की अगुवाई के लिये बेहतर रूप से तैयार हैं क्योंकि अब उन्होंने इसके कुछ गुर सीख लिये हैं। महेंद्र सिंह धोनी ने 15 जनवरी से शुरू होने वाली इंग्लैंड सीरीज से कुछ दिन पहले कप्तानी छोड़ने का फैसला किया और कोहली इसके लिये पहली पसंद थे। हालांकि कोहली टेस्ट में पहली पसंद नहीं थे, तब धोनी ने 2014 में आस्ट्रेलिया सीरीज के बीच टेस्ट से संन्यास का हैरानी भरा फैसला किया था।

कोहली ने दोनों ही बार कप्तान नियुक्त किये जाने वाले हालात की तुलना करते हुए बीसीसीआई डाट टीवी से कहा, टेस्ट कप्तानी के बारे में, मुझे लगता है कि मुझे एडिलेड टेस्ट से एक दिन पहले बताया गया था कि महेंद्र सिंह धोनी मैच नहीं खेलेंगे और मैं इसमें टीम की कप्तानी करूंगा। यह काफी हैरानी भरा था। मैंने इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं की थी। मेरे दिमाग में कहीं न कहीं ये बात थी कि मैं बतौर बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में अपने पैर जमा रहा था। लेकिन जिम्मेदारी ने मेरे लिये बेहतरीन काम किया।

आस्ट्रेलिया दौरे के बाद कोहली का सफर किसी सपने की तरह रहा है और अब उन्हें खेल के शीर्ष बल्लेबाजों में शुमार किया जा रहा है। उन्हें लगता है कि टेस्ट में यह उनके लिये शानदार रही है और सभी प्रारूपों में कप्तानी उन्हें और प्रेरित करेगी। कोहली ने कहा, टेस्ट में कप्तानी की प्रक्रिया को समझने में थोड़ा समय लगा कि यह कैसे की जाती है। हां, मैं कहूंगा कि वनडे और टी20 कप्तानी ऐसी चीज है जो मैंने खेल के साथ सीखने की कोशिश की है। साथ ही छोटे प्रारूप में मैंने जो कुछ सीखा है, उसके बाद मैं इसे हासिल करके और सीधे शुरूआत करने में काफी आत्मविश्वासी महसूस कर रहा हूं।

उन्होंने कहा, मैं अपने ही दिमाग में इसकी तैयारी कर रहा था, महेंद्र सिंह धोनी मुझसे रणनीतियों के बारे में बात करते रहे हैं कि किस तरह के हालात में कैसे दृष्टिकोण की जरूरत होती है। मुझे लगता है कि वह भी समझ गये थे कि उन्होंने जो विरासत बनायी है उसे देखते हुए मेरा मार्गदर्शन करना, मुझे सिखाना कितना महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति इस विरासत को संभालने आ रहा है, उसे इसे आगे बढ़ाने के लिये यह कितना अहम है। कोहली ने कहा, अतिरिक्त जिम्मेदारी हमेशा मेरे लिये कारगर रही है क्योंकि इसमें आत्ममुग्धता के लिये कोई जगह नहीं बचती। आपके पास रिलैक्स होने के लिये कोई जगह नहीं होती।

 

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