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भीमा कोरेगांव- दलित एक्टविस्टों के साथ दमनात्मक कार्यवाही पर भड़का भारत ? जानिये किसने क्या कहा ?

नई दिल्ली, भीमा कोरेगांव मामले मे जांच की आड़ मे दलित एक्टविस्टों  की गिरफ्तारी और उनके घरों की तलाशी के सिलसिले में कई शहरों में हुई छापेमारी पर राजनीतिज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, शिक्षाविदों एवं लेखकों ने आक्रोश व्यक्त किया और इस कार्रवाई की निंदा की है.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भारत में केवल एक एनजीओ के लिए जगह है, जिसका नाम आरएसएस है. बाकी सारे एनजीओ को ताला लगा दो. सारे एक्टिविस्टों को जेल में डाल दो और जो इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं उन्हें गोली मार दो. एेसे नए भारत में आपका स्वागत है.

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सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि वे इन गिरफ्तारियों की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार उन दलित कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जिन्होंने मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. हालांकि मामला अब न्यायालय के अधीन है. लेकिन इस तरह की गिरफ्तारियां देशवासियों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है. और यह 1975 के आपातकाल से भी बदतर स्थिति है, जब मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ा जा रहा है.

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कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया ने कहा है कि अर्बन नक्सल बताकर लोगों को परेशान किया जा रहा है, ये दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. उन्होंने कहा कि सनातन संस्था के सदस्य दाभोलकर की हत्या में शामिल हैं और कबूल कर चुके हैं. जिसपर पुलिस कुछ खास नहीं कर रही है. पुनिया ने सवाल खड़ा किया कि भीमा कोरेगांव में पीएम की हत्या की साजिश वाला मामला भी टांय-टांय फिस्स हो गया, उस मामले क्या हुआ?

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जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में लिखा, ‘फासीवादी फन अब खुलकर सामने आ गए हैं.’ प्रशांत ने कहा, ‘यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है. वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ जा रहे हैं. वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं.’

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चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने पुलिस की कार्रवाई को ‘काफी डराने वाला’ करार दिया और उच्चतम न्यायालय के दखल की मांग की ताकि आजाद आवाजों पर ‘अत्याचार और उत्पीड़न’ को रोका जा सके. गुहा ने ट्वीट किया, ‘सुधा भारद्वाज हिंसा और गैर-कानूनी चीजों से उतनी ही दूर हैं जितना अमित शाह इन चीजों के करीब हैं.

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नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी छापेमारियों की कड़ी निंदा की. हाशमी ने ट्विटर पर लिखा, ‘महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, दिल्ली, गोवा में सुबह से ही मानवाधिकार के रक्षकों के घरों पर हो रही छापेमारी की कड़ी निंदा करती हूं. मानवाधिकार के रक्षकों का उत्पीड़न बंद हो. मोदी के निरंकुश शासन की निंदा करती हूं.’

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अरुंधति रॉय ने बताया, ‘एक ही साथ राज्यव्यापी गिरफ्तारियां एक ऐसी सरकार के खतरनाक संकेत हैं, जिसे अपना जनादेश गंवाने और घबराहट में अपने गिरने का डर है. वकीलों, कवियों, लेखकों, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं एवं बुद्धिजीवियों को ऊटपटांग आरोपों में गिरफ्तार किया जा रहा है जबकि भीड़ की शक्ल लेकर हत्या करने वाले, दिनदहाड़े लोगों को धमकाने और उनकी हत्या करने वाले लोग खुला घूम रहे हैं. यह साफ बताता है कि भारत किधर जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि हत्यारों को सम्मानित और संरक्षित किया जा रहा है जबकि न्याय के लिए बोलने वालों या हिंदू बहुसंख्यकवाद के खिलाफ बोलने वालों को अपराधी बनाया जा रहा है. अरुंधति ने कहा, ‘जो कुछ हो रहा है वह निश्चित तौर पर खतरनाक है.

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