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महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर

मुुंबई,  महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बाद एक महीने तक चले राजनीतिक गतिरोध के बाद अचानक एक बड़े सियासी उलटफेर में शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक धड़े के साथ गठजोड़ करके आनन फानन में सरकार बना ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुबह करीब साढ़े सात बजे श्री देवेन्द्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा के श्री अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी।

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राज्यपाल श्री कोश्यारी ने पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की। राष्ट्रपति शासन हटने के बाद आज राज्यपाल ने राजभवन में भाजपा के देवेन्द्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा के अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी। इस मौके पर भाजपा और राकांपा दोनों पार्टियों का कोई भी बड़ा नेता उपस्थित नहीं था।

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सरकार के गठन के बाद राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने सरकार में शामिल होने के श्री अजीत पवार के निर्णय से किनारा कर लिया जबकि श्री फड़नवीस ने दावा किया कि उनके पास पूर्ण बहुमत है। इस प्रकार से शपथ ग्रहण के बावजूद सरकार के समीकरणों के बारे में अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। श्री अजीत पवार को कितने विधायकों का समर्थन हासिल है और बहुमत के लिए बाकी विधायक कहां से आएंगे, इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है।

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शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा के अध्यक्ष एवं देश के गृहमंत्री अमित शाह ने श्री फड़नवीस और श्री अजीत पवार को ट्वीट पर बधाई दी। श्री फड़नवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का मौका देने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा को धन्यवाद दिया।

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महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव 21 अक्टूबर को हुए थे और परिणाम 24 अक्टूबर को आये थे। 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सर्वाधिक 105, शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें हासिल हुईं थीं। विधानसभा चुनाव में भाजपा एवं शिवसेना तथा कांग्रेस एवं राकांपा गठबंधन के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे। भाजपा एवं शिवसेना के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद सरकार का गठन नहीं हो पाया। शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद पर दावा कर दिया था जिसे भाजपा ने स्वीकार नहीं किया। कई दिनों तक गतिरोध कायम रहने के कारण राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

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