सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु पर दिया ऐतिहासिक फैसला
March 9, 2018
नई दिल्ली , सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया सकता है जिसमें मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत को मान्यता देने की मांग की गई थी. कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कहा कि कुछ दिशा-निर्देशों के साथ इसकी इजाजत दी जा सकती है.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने जीवन की तुलना ‘दिव्य ज्योति’ से करते हुए इसके सम्मान की बात की और मृत्यु को जीने की प्रक्रिया का हिस्सा बताया. जजों ने अपना फैसला सुनाते हुए स्वामी विवेकानंद के कथनों के साथ ही मशहूर कवियों की कविताओं का भी जिक्र किया.सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा, ‘स्वाभिमान के साथ जीना हमारे जीवन जीने के अधिकार का अभिन्न अंग है.
जीवन और मृत्यु को अलग नहीं किया जा सकता. हर क्षण हमारे शरीर में बदलाव होता है. बदलाव एक नियम है. जीवन को मौत से अलग नहीं किया जा सकता. मृत्यु जीने की प्रक्रिया का ही हिस्सा है.’ CJI ने इस मानवीय मामले में पांचों जजों की बेंच के बहुमत वाले फैसले की शुरुआत मशहूर कवियों और दार्शनिकों की उक्तियों से की. स्वामी विवेकानंद की उक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन एक ज्योति है. इस दिव्य ज्योति का सम्मान होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु की वसीयत को कानूनी मंजूरी देते हुए कुछ शर्तें भी लगाई हैं.