लखनऊ,एसिड पीड़ित महिलाओं के द्वारा संचालित लखनऊ के मशहूर कैफे ‘शेरोज हैंगआउट ‘ को योगी सरकार ने खाली करने का नोटिस थमा दिया है. सरकार के इस फैसले के बाद डेढ़ दर्जन एसिड पीड़ित महिलाओं के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.हालांकि, कोर्ट ने मामले में 21 दिनों का स्टे दिया है. इस कैफे में वे लड़कियां काम करती हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में एसिड अटैक झेला है. उनके चेहरे इन हमलों में झुलस चुके हैं. ऐसे में वे समाज की मुख्य धारा से काफी हद तक अलग हो चुकी हैं.
महिला कल्याण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के तहत शेरोज हैंगआउट की जगह मौजूदा संस्था को 22 अक्टूबर तक खाली करनी है. यूपी महिला कल्याण निगम की ओर से यह कैफे अब लोटस हॉस्पिटैलिटी संस्था को आवंटित कर दिया गया है. लखनऊ में शेरोज हैंगआउट कैफे की तर्ज पर 2016 में खोला गया था. उस समय दो साल का कॉन्ट्रैक्ट छांव फाउंडेशन के साथ हुआ था. इसमें 12 सरवाइवर काम करती हैं, जिनका वेतन महिला कल्याण निगम की ओर से दिया जाता है. छांव फाउंडेशन के निदेशक आशीष शुक्ला का कहना है कि हम नॉन प्रॉफिटेबल संस्था हैं.
इस कैफे को चलाने वाली संस्था छांव के संचालक आशीष शुक्ला ने बताया कि यह कैफे एसिड पीड़िताओं के लिए सम्मान के साथ जिंदगी जीने का जरिया था, लेकिन यह जमीन सरकार के आंखों में चुभ रही थी और यही वजह है कि इसे छीना जा रहा है. हमारी संस्था के ऊपर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन हमने सरकार से कहा कि जांच करा लीजिए, लेकिन जमीन छीनना ही उनका मकसद है. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने कई बार सीएस योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने की कोशिश की, लेकिन किसी कारण वश उनसे मुलाकात नहीं हो पाई.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं को कैफे चलाने के लिए दी थी जमीन दी थी. इसके बाद से पीड़ित एसिट अटैक महिलाओं के लिए शीरोज हैंगआउट सहारे से कम नहीं था. इस कैफे की खासियत यह है कि इसका संचालन ऐसिड अटैक पीड़िताओं द्वारा किया जाता है. ऑर्डर लेने से खाना बनाने और परोसने तक का काम ऐसिड अटैक पीड़िताओं द्वारा ही किया जाता है. शेरोज़ हैंगआउट, लखनऊ के लोगों का एक पसंदीदा स्थान बन चुका था, जहां लेखक, पत्रकार, कलाकार और रंगकर्मियों समेत लखनऊ आने वाले टूरिस्ट जरूर आते थे.