आमतौर पर हम देखते है कि बच्चे पढने से ज्यादा खेलना पसंद करते है, इसीलिए वे पढाई से भी जी चुराते है। यह सिर्फ आपके घर का नहीं बल्कि कई घरों का यही हाल है। अगर बच्चे खेलकूद में भी अगर बच्चे रुचि न दिखाएं तो सावधान हो जाएं। इन सब कारणों के पीछे वास्तु दोष भी जिम्मेदार हो सकते हैं। बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए वास्तु शास्त्र में आसान से उपाय बताए गए हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में।
बच्चों के कमरे के वास्तु का भी ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के कमरे की सजावट उनके अनुकूल होना आवश्यक है, तभी वे निरोगी रहेंगे। बच्चों के कमरे में रोशनी और प्राकृतिक उजाले का होना बहुत जरूरी है। पढ़ाई की टेबल को हमेशा साफ रखें। बच्चों के कमरे में दौड़ते हुए घोड़े की तस्वीर लगाएं। हरे रंग के तोते वाला पोस्टर घर की उत्तर दिशा में लगाएं। ऐसा करने से बच्चों में पढ़ाई और खेलकूद के प्रति रुचि बढ़ने लगेगी। बच्चों का पलंग अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए। इसका सिरहाना पूर्व दिशा की ओर तथा पैर पश्चिम की ओर होना चाहिए।
पढ़ाई करते समय बच्चे का मुंह पूर्व दिशा की ओर, पीठ पश्चिम दिशा की ओर होनी चाहिए। बच्चों के कमरे में हिंसात्मक या भड़काऊ पेंटिंग्स या चित्र नहीं होने चाहिए। प्राकृतिक चित्र बच्चों के कमरे में लगा सकते हैं। भगवान श्री गणेश एवं मां सरस्वती का चित्र बच्चों के कमरे में अवश्य लगाएं। अगर दो बच्चे हैं और दोनों हम उम्र हैं तो उनके कमरे में दो अलग-अलग रंगों का प्रयोग किया जा सकता है।