हो चि मिन्ह सिटी , भारतीय मुक्केबाजी की ‘वंडर गर्ल’ एम सी मेरीकाम ने एशियाई मुक्केबाजी में पांचवीं बार स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया जबकि सोनिया लाथेर को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा । पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरीकाम ने उत्तर कोरिया की किम ह्यांग मि को 5 . 0 से हराया । यह 2014 एशियाई खेलों के बाद मेरीकाम का पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक है और एक साल में उनका पहला पदक है ।
विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता सोनिया को रजत पदक से संतोष करना पड़ा । वह बंटे हुए फैसले में चीन की यिन जोन्हुआ से हार गई। भारत को इस टूर्नामेंट में एक स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य पदक मिले । मेरीकाम ने इस जीत के साथ टूर्नामेंट में अपना शानदार रिकार्ड बरकरार रखा है । वह सभी छह बार फाइनल में पहुंची और बस एक बार रजत पदक से संतोष करना पड़ा । उसने 2003, 2005, 2010 और 2012 में भी इसमें पीला तमगा जीता था ।
पैतीस बरस की मेरीकाम का सामना मि के रूप में सबसे आक्रामक प्रतिद्वंद्वी से था लेकिन वह इस चुनौती के लिये तैयार थी । अब तक पहले तीन मिनट एक दूसरे को आंकने में जाते रहे थे लेकिन इस मुकाबले में शुरूआती पलों से ही खेल आक्रामक रहा। मेरीकाम ने अपनी प्रतिद्वंद्वी के हर वार का माकूल जवाब दिया । दोनों ओर से तेज पंच लगाये गए । मेरीकाम उसके किसी भी वार से विचलित नहीं हुई और पूरे सब्र के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की ।
दूसरी ओर सोनिया का मुकाबला काफी थकाने वाला था । जोन्हुआ ने संतुलित जवाबी हमले किये और अच्छे पंच भी लगाये । भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने भारतीय टीम खासकर मेरीकाम की तारीफ की । उन्होंने कहा ,‘‘ मेरीकाम का स्वर्ण भारत की महिला शक्ति की जीत है । तीन बच्चों की मां ने दिखा दिया कि मन में लगन हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है । मैं पूरी टीम को बधाई देता हूं ।’’