राम लहर रोकने वाले सपा-बसपा गठबंधन के लिये, मोदी लहर रोकना आसान या कठिन ?
March 5, 2018
लखनऊ , यूपी के लोकसभा उपचुनावों मे बसपा द्वारा समाजवादी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा और राज्यसभा चुनाव मे बसपा के उम्मीदवार को जिताने को लेकर समाजवादी पार्टी द्वारा दिये जा रहे समर्थन के बाद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव मे गठबंधन को लेकर दोनों दलों सपा और बसपा के बीच सब कुछ तय हो चुका है। हालांकि गठबंधन की आधिकारिक घोषणा अभी दोनों मे से किसी दल ने नही की है।
सपा-बसपा गठबंधन यूपी के लिये कोई नयी बात नही होगी। यह तो मात्र इतिहास को दोहराने की बात होगी। क्योंकि राम लहर को रोकने के लिये मुलायम सिंह और कांशीराम ने भी सपा-बसपा गठबंधन किया था और यह गठबंधन बेहद सफल रहा था। उस समय का नारा ” मिले मुलायम कांशीराम हवा मे उड़ गये जय श्रीराम” लोगों की जुबान पर चढ़ गया था।
मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था और उसके एक साल बाद हुए चुनाव से पहले बसपा के साथ रणनीतिक गठबंधन किया था। उस वक्त बसपा की कमान कांशीराम के पास थी। उस समझौते के तहत यूपी विधान सभा चुनाव सपा और बसपा ने क्रमश: 256 और 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था। दोनों दलों को क्रमश: 109 और 67 सीटें मिली थीं। मई, 1995 में बसपा ने मुलायम सिंह की सरकार से अपना समर्थन खींच लिया और गठबंधन टूट गया। लेकिन यह गठबंधन अपने मिशन मे कामयाब रहा।
राजनैतिक विशेषज्ञों के अनुसार, मोदी लहर को रोकना राम लहर की तुलना मे सपा-बसपा के लिये कहीं ज्यादा आसान होगा। उसके कई महत्वपूर्ण कारण है। पहली बात कि यह गठबंधन अपनी उपयोगिता पूर्व मे ही सिद्ध कर चुका है। इसलिये लोगों मे सफलता को लेकर किसी भी प्रकार का संशय नही है। अगर हम हाल के लोकसभा और विधानसभा चुनावों मे मिले वोट प्रतिशत से भी तुलना करें तो दोनों दलों के वोट बीजेपी को हराने के लिये पर्याप्त हैं। सपा-बसपा गठबंधन देश के दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और किसान समाज के लिये एक बड़ी उम्मीद है जो कुल आबादी के 85 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
रामलहर के मुख्य मुद्दे राम मंदिर निर्माण से उस समय समाज के हर वर्ग का भावनात्मक लगाव था। लोगों ने नारा दिया था “आधी रोटी खायेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे” पर मोदी लहर के लिये एेसा कुछ नही है। बल्कि मोदी लहर के प्रति 2014 की तुलना मे लोगों मे काफी आक्रोश बढ़ा है, जरूरत उसे वोटों मे तब्दील करने की है। मोदी सरकार की वादा खिलाफी, 15 लाख लोगों के बैंक खातों मे डालने, कालाधन विदेश से वापस लाने जैसे वादे करके बीजेपी द्वारा उसे जुमला करार देने से विश्वसनीयता घटी है। उलटे मोदी सरकार मे ही, ललित मोदी, विजय माल्या, नीरव मोदी द्वारा देश का पैसा लेकर भागने से पीएम मोदी खुद शक के घेरे मे आ चुकें हैं।
अब देश में मोदी लहर को थामने के लिये उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो दिग्गजों ने एक बार हाथ मिला लिया है। भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ को रोकने के लिए गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन देकर बहुजन समाज पार्टी ने राज्य ही नही देश की राजनीति के दूरगामी संकेत दिये हैं।