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केजीएमयू के डाक्टरों के लिये शर्मनाक क्षण, यौन उत्पीड़न मामले में मिली नोटिस

लखनऊ , इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केजीएमयू की प्रथम वर्ष की रेजीडेंट डॉक्टर के यौन उत्पीड़न मामले का संज्ञान लेते हुए चिकित्सा विश्वविद्यालय के संबंधित अफसरों को नोटिस जारी की है।
अदालत ने साथ ही मामले में पक्षकार बनाए गए इन अफसरों समेत संबंधित पुलिस अफसरों को भी अपनी आपत्ति या जवाबी हलफनामे 18 अगस्त तक दाखिल करने को कहा है।

न्यायमूर्ति अनिल कुमार और न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश रेजीडेंट डॉक्टर की याचिका पर दिया। याचिका, अधिवक्ताओं वत्सला सिंह,विवेक सिंह व शोभित मोहन शुक्ल के जरिए दायर की गई है, जिसमें याची ने इस प्रकरण में दर्ज कराए गये केस की साफ-सुथरी तफ्तीश किए जाने और याची की हिफाजत करने की गुजरिश की गई है।

याची का कहना था कि चिकित्सा विश्वविद्यालय में प्रवेश के बाद उसके शोध सहायक डॉक्टर द्वारा उसका यौन उत्पीडन किया गया और विभागाध्यक्ष के जरिए मामले को रफा – दफा करने की कोशिश की गई। याची का आरोप है कि विभाग के अन्य कुछ आचार्य, प्राचार्य व सीनियर्स द्वारा उसपर दबाव डाला गया। यहां तक कि ऐसी घटनाओं की जांच सम्बंधी विशाखा समिति ने भी उस पर दबाव डाला, जो अनुचित था।

उधर, सरकारी वकील उमेश वर्मा भी पेश हुए। कोर्ट ने सुनवाई के बाद मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी कर 18 अगस्त तक अपने हलफनामे या आपत्तियाँ दाखिल करने का समय दिया है और अगली सुनवाई 18 अगस्त को नियत की है।