शिवपाल ने ठुकराया मुलायम सिंह का प्रस्ताव, सपा का संकट गहराया

नयी दिल्ली,  परिवार मे एकता और पुत्र और भाई के बीच खटास दूर करने के सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के प्रस्ताव को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ठुकरा दिया है।

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सूत्रों के मुताबिक, पुत्र अखिलेश और भाई शिवपाल के बीच खटास दूर करने की मुलायम सिंह की शुरुआती कोशिश, चाचा भतीजे की दरार पाटने में कामयाब नहीं रही। मुलायम सिंह की पहल पर पैतृक गांव सैफई में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की मुलाकात जरुर हुयी, लेकिन शिवपाल ने सपा में अपनी पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के विलय से फौरी तौर पर इंकार कर दिया है।

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लोकसभा चुनाव में सपा का जनाधार दरकने के कारण पूरे परिवार की राजनीतिक विरासत पर उपजे संकट को लेकर मुलायम सिंह ने पिछले सप्ताह शिवपाल को दिल्ली बुलाकर चर्चा की थी। चुनाव में यादव वोट बैंक के बिखराव से अखिलेश का ‘सपा बसपा गठबंधन’ प्रयोग नाकाम होने में प्रसपा की भूमिका के मद्देनजर, मुलायम सिंह ने शिवपाल से पारिवारिक टकराव खत्म करने को कहा।

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पिछले एक सप्ताह से सुलह की कोशिशों के बीच मुलायम सिंह ने चाचा भतीजे को तत्काल एकजुट होने की जरूरत समझाते हुये आगाह किया है कि अगर अब नहीं संभले, तो फिर राजनीतिक भविष्य ठीक नहीं है।लेकिन शिवपाल सिंह ने सपा में प्रसपा के विलय की तत्काल संभावना से इंकार करते हुये  नेताजी से कहा है कि वह अकेले कोई फैसला नहीं कर सकते। उन्हें इसके लिये प्रसपा के उन नेताओं से बात करनी होगी, जिन्होंने संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में साथ देकर प्रसपा को खड़ा किया है।’’

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यादव परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि शिवपाल सिंह ने विधानसभा उपचुनाव में सपा प्रसपा के मिलकर चुनाव लड़ने का विकल्प सुझाया।  उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। समझा जाता है कि शिवपाल ने राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव को पारिवारिक कलह की मूल वजह बताते हुये सपा संरक्षक से कहा है कि प्रसपा और सपा, उपचुनाव भी मिलकर तब ही लड़ेंगी जबकि अखिलेश रामगोपाल से पुख्ता दूरी बना लें।

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30 मई को मोदी सरकार के दूसरी बार हुए शपथ ग्रहण के बाद, मुलायम सिंह ने एक जून से ही शिवपाल सिंह और अखिलेश को एकजुट करने की कोशिशें तेज कर दी थीं। शुरुआती तीन दिन मुलायम सिंह और शिवपाल दिल्ली में थे। चार जून को मुलायम सिंह ने शिवपाल और अखिलेश सहित पूरे परिवार को सैफई बुलाकर बातचीत की। इसके बाद लखनऊ में भी मुलायम सिंह ने पारिवारिक कलह समाप्त करने की कोशिश जारी रखी।

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