तो क्या लालू यादव केस की आड़ मे, जज साहब विवादित जमीन का मामला निपटाना चाहतें हैं?
January 11, 2018
लखनऊ, राजद प्रमुख लालू यादव को जेल से बरी करने करने की सिफारिश करने वालों में उत्तर प्रदेश के जालौन के डीएम और एसडीएम का नाम सीबीआई के स्पेशल जज शिवपाल सिंह ने लिया है। जबकि डीएम और एसडीएम ने इसे गलत बताया है। अब सवाल यह उठता है कि लालू यादव को सजा सुनाने वाले जज क्यों डीएम और एसडीएम पर लगा रहें गलत आरोप ? इसका क्या कारण है?
सीबीआई के स्पेशल जज शिवपाल सिंह के अनुसार, डीएम डा. मन्नान अख्तर ने कहा था, ‘आप लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा। जबकि जालौन के डीएम डा. मन्नान अख्तर ने जज से लालू यादव के पक्ष में सिफारिश करने की बात से इंकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने न तो किसी की सिफारिश की है और न ही उनके मामले में कानून पढ़कर आएं जैसी बात कही है।
वहीं जालौन के एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि न तो लालू प्रसाद के मामले में मैंने कोई फोन किया और न ही ऐसी कोई टिप्पणी ही की है। मैं किसी भी सीनियर अफसर या न्यायिक अधिकारी से इस तरह की बात कर ही नहीं सकता हूं। इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है। जज साहब, ऐसा क्यों कह रहे हैं, मैं नहीं जानता हूं।
सूत्रों के अनुसार, लालू यादव के खिलाफ फैसला सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह उत्तर प्रदेश स्थित जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के रहने वाले हैं। गांव में उनका कुछ लोगों से विवादित जमीन को लेकर झगड़ा चल रहा है।जज शिवपाल सिंह के परिवार द्वारा जबरदस्ती कब्जा करने पर उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया। दूसरा पक्ष जमीन पर खेती कर रहा हैं।शिवपाल सिंह के परिवार के अनुसार, जबरन जमीन से चक रोड निकाल दिया है।
शिवपाल सिंह ने खुद जिला कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुई। छह नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद बीडीओ और ग्राम प्रधान की उपस्थिति में 1700 रूपए का पत्थर लगवाया गया, इसे भी विरोधियों ने उखा़डकर फेंक दिया।
एसडीएम, तहसीलदार, सीओ और कोतवाल ने जब हाथ खींच लिये तो जज ने डीएम से सिफारिश की।शिवपाल सिंह के अनुसार, 12 दिसंबर, 2017 को डीएम और एसपी से शिकायत की तो डीएम ने कहा, ‘आप झारखंड में जज हैं न, आप कानून पढ़कर आएं। उन्होंने यह भी कहा कि वे एसडीएम के आदेश को नहीं मानेंगे।’
लालू यादव को बचाने के लिए कोशिश करने वालाें में उत्तर प्रदेश के जालौन के कलेक्टर का नाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में आ गए हैं। उन्होंने झांसी कमिश्नर को इस मामले की जांच करने के आदेश दे दिए हैं और जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सूत्रों के अनुसार, सवाल यह उठता है कि यूपी का डीएम और एसडीएम क्यों बिहार के नेता की सिफारिश करेगा। उसे क्या लाभ जबकि यूपी मे लालू यादव की विरोधी बीजेपी की सरकार है? सूत्रों के अनुसार, जज शिवपाल सिंह लालू यादव केस की आड़ मे अपना हिसाब डीएम से बराबर कर रहें हैं।सबसे खास बात यह है कि डीएम मुस्लिम हैं। इस लिये आरोप लगाना आसान है। तो क्या लालू यादव केस की आड़ मे जज साहब विवादित जमीन का मामला निपटाना चाहतें हैं?