लखनऊ , समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू में आरक्षण का एक नया फ़ॉर्मूला दिया हैं.
अखिलेश यादव का कहना है कि जिसकी जितनी आबादी है, उसे उतना हक मिलना चाहिए. अखिलेश यादव आरक्षण पर नए फ़ॉर्मूले की बात करते हुए कहते हैं, की “बैकवर्ड-फॉरवर्ड का झगड़ा खत्म हो जाएगा. हर समुदाय के लोगों को गिन लिया जाए और आबादी के हिसाब से उनका हक दे देना चाहिए. जिसकी जितनी आबादी है, उस हिसाब से सबको आरक्षण दे देना चाहिए.
आरक्षण की वजह से टैलेंटेड लोगों को मौका नहीं मिल पाता है,अखिलेश ने कहा “हमारा तो फ़ॉर्मूला यही है कि टैलेंटेड लोगों के लिए 20 फीसदी सीटों को अलग कर लो. इसमें जो मेरिट लिस्ट टॉपर हो चाहे जिस भी जाति का हो, उसे टैलेंटेड लोगों के पूल में रख लो.” हालांकि अपने यहां इतने टैलेंटेड लोग हैं ही नहीं कि 20 फीसदी सीट भरेंगी नहीं तो 10-15 फीसदी का रख सकते हैं. जो टैलैंटेड हैं, वो इस पूल के ज़रिए सामने आएं.
अखिलेश यादव की राय ये भी है कि इस देश के टैलेंटेड लोग भारत में टिकते भी नहीं हैं, वो विदेश चले जाते हैं, आईआईटी और आईआईएम से निकलने वाले ज्यादातर लोग काम करने विदेश चले जाते हैं. अखिलेश यादव के मुताबिक इसके बाद बाकी के 80-90 फ़ीसदी सीटों के लिए आबादी के हिसाब से हक मिलना चाहिए. उनका दावा है कि इस फ़ॉर्मूले से शायद ही किसी समुदाय को कोई दिक्कत होगी.
भारत में अब तक जातिगत आधार पर कोई जनगणना नहीं हुई है. ऐसे में आबादी के हिसाब से हक़ देने की राह में यह सबसे बड़ी व्यावहारिक अड़चन है. लेकिन अखिलेश यादव इसे बड़ी समस्या नहीं मानते हैं. वे कहते हैं, “आपने आधार से सारे लोगों को लिंक कैसे कर दिया है, आज तकनीक की ऐसी व्यवस्था हो गई है कि आप चाहें तो मोबाइल फोन से लोगों की जाति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. तमाम तरह की तकनीक है, ये कोई बड़ा मसला है ही नहीं.
अखिलेश यादव ये भी कहते हैं कि असली लड़ाई इसी मुद्दे पर है, भारतीय जनता पार्टी लोगों को बरगलाने के लिए अति पिछड़े और अति दलित की बात कर रही है, हमारे समाज को और भी बांट रही है, लेकिन समाजवादियों की सरकार आने पर इस फार्मूला को लागू करने की बात कर रहे हैं. अखिलेश यादव कहते हैं, “शायद अत्याधुनिक तकनीक और लोगों की जागरूकता, आने वाली सरकारों को बाध्य कर देगी, आने वाले दिनों में लोगों को आबादी के हिसाब से हक देना ही होगा.