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रैलियों में उमड़ रही भीड़ बता रही है जनता क्या चाहती है ?

लखनऊ,  यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार ने अब गति पकड़ ली है। हर राजनैतिक दल अपनी पूरी ताकत चुनाव में झोंक रहें है। अभी आप ये नही कह सकते है की सरकार किसकी बनेगी लेकिन आप एक फॉर्मूले से पता लगा सकते है की जनता का रूझान किस तरफ है।

राजनीतिक दिग्गजों का मानना है की पार्टीयों की जनसभाओं में उमड़ रही भारी भीड़ से समझा और महसूस किया जा सकता है की जनता का मूड क्या है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के 7 चरणों में से दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं। इन दो चरणों में अभी तक 113 सीटों पर मतदान हुआ है और बाकी पांच चरणों में बाकी 290 सीटों पर मतदान होने हैं।

देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए कई रैलीयों का आयो​जन चल रहा है। विभिन्न न्यूज़ चैनलों और एजेंसियों की तस्वीरों को देखें तो इस रैली में हजारो लोगों ने भाग लिया।

अभी तक दो चरणों में हुये मतदान में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सभाओं में भारी भीड़ देखने को मिली। अखिलेश यादव और आरजेडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जनयात्रा निकाली थी। जनयात्रा के दौरान हजारों लोगों की भीड़ देखने को मिली थी।

वही बहुजन समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की भी जनसभाओं में  भारी भीड़ देखने को मिली। मायावती की आगरा रैली भीड़ के मामले में  उल्लेखनीय है।

लेकिन भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता बढ़ा दी है। भाजपा को लोगों की भीड़ जुटाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि भाजपा की तरफ से सबसे बड़े  स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भी उतनी भीड़ नहीं आ रही है।  क्या लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  को सुनना नही चाहतें हैं या अब जनता में प्रधानमंत्री का क्रेज कम हो गया है? लगातार कुछ ऐसा हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों को लेकर सवाल खड़े हो रहें हैं। विपक्ष के हमले तेज हो रहें हैं। ये सवाल अनायास नहीं हैं?

कोरोना की रफ्तार थमी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुआंधार प्रचार का कार्यक्रम तय हो गया। इसी कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री मोदी को बिजनौर में एक चुनावी रैली को संबोधित करना था। सारी तैयारियां हो गईं और अपने हेलिकॉप्टर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होने के लिए लखनऊ से पहुंच गए थे, पर तभी अचानक खबर आई कि पीएम मोदी का हेलिकॉप्टर खराब मौसम की वजह से दिल्ली से उड़ नहीं पाया। इसके बाद पीएम मोदी ने वर्चुअली तौर पर चुनावी रैली को संबोधित किया। इसे लेकर जयंत चौधरी ने तंज कसा और कहा, ‘बिजनौर में धूप खिल रही है, लेकिन भाजपा का मौसम ख़राब है!’

इसी तरह  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले गुरुवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक रैली को संबोधित करने पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी की रैली में आई भीड़ को लेकर दावा किया गया है कि उन्हें प्राइवेट बसों में बैठा कर ले आया गया था। जिसमें बस संचालकों से वादा किया गया था कि डीजल का खर्चा दिया जाएगा। बस मालिकों का कहना है कि सभी अपने वादे से मुकर गए हैं।

करीब एक माह पूर्व  पंजाब के बठिंडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली स्थगित होने पर ये आरोप लगा था कि पीएम की रैली में कुर्सियां खाली पड़ी थी, कोई भीड़ मौजूद नहीं थी इसलिए वह रैली नहीं कर पाए और वापस दिल्ली रवाना हो गए। किसान पूरे रास्ते पीएम मोदी का विरोध कर रहे थे। पंजाब में प्रधानमंत्री की रैली कैंसिल होने पर कांग्रेस ने भीड़ न जुटने का आरोप लगाते हुये कहा था  कि रैली में कुर्सियां खाली थीं, इसलिए सुरक्षा को बहाना बनाया गया।

वहीं, अमित शाह की मैनपुरी की करहल रैली में खाली कुर्सियां दिखाईं दीं तो करहल में ही मुलायम सिंह की रैली में भारी भीड़ उमड़ी है।

जनता का मूड क्या है और वो किसकी सरकार बना रही है, ये बड़ा सवाल सबके सामने है। राजनीतिक दिग्गजों का मानना ये भी है कि पार्टीयों की जनसभाओं में उमड़ रही भारी भीड़ को भी ध्यान से देखना होगा कहीं ये झूठी भीड़ तो नहीं है। ये भीड़ पैसे देकर बुलाई हुई भी हो सकती है या फिर जनता रैलीयों में खुद अपने नेता को सुनने आ रही है। अगर ये भीड़ मतदाताओंकी है, समर्थकों की है तो निश्चित मानिये उस नेता या दल की 10 मार्च को जीत पक्की है।