मुंबई, भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाना किसी भी लड़की के लिये बड़ी बात है। लेकिन जब एसा करने वाली लड़की मुंबई के कोलिवरी क्षेत्र की बस्ती में 220 फीट की झुग्गी से टीम इंडिया मे पहुंचती है तो यह और भी बड़ी बात हो जाती है। यह रील लाईफ सी लगने वाली हकीकत दरअसल भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाली राधा यादव की रील लाईफ की कहानी है।
राधा यादव हाल ही मे, मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में चोटिल राजेश्वरी गायकवाड़ की जगह महिला टीम में शामिल हुईं। वह अब टीम इंडिया में अपनी नियमित जगह बनाना चाहती हैं। 17 साल की राधा यादव की सफलता के पीछे संघर्ष की कहानी छिपी है। उसके लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा।
17 साल की राधा यादव मुंबई के कोलिवरी क्षेत्र की झुग्गी मे रहती है। नौ लोगों का परिवार एक 220फीट की झुग्गी में गुजर-बसर करता है। उसके पिता ओमप्रकाश की इसी बस्ती में एक छोटी सी परचून की दुकान चलाते हैं। सुबह चार बजे उठकर दुकान खोलना और फिर देर रात तक काम करना। यह ओमप्रकाश का रोज का काम है तब कहीं परिवार का गुजारा चलता है। इसके बावजूद ओमप्रकाश ने अपनी बेटी के सपनों को टूटने नही दिया।
ओमप्रकाश ने परेशानियों का जिक्र करते हुय़े कहा कि मेरे जैसे आदमी के लिये तो सबसे बड़ी समस्या क्रिकेट का सामान उपलब्ध कराना और कोच की फीस देना था। राधा के कोच प्रफुल्ल नायक उसकी बल्लेबाजी से प्रभावित हुए । कोच मेरे पिता के पास आए और मुझे लेदर की गेंद से क्रिकेट खिलाने के लिए कहा। परंतु इसके बाद कोच ने ही राधा का सारा खर्च उठाया। बचपन में राधा को यह भी पता नहीं था कि लड़कियों की अलग टीम होती है। वह लड़कों की भारतीय टीम में जगह बनाने का सपना देख रही थी।