अमित शाह से जुड़े सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे जज क्यों हैं निशाने पर ?
February 28, 2018
नयी दिल्ली, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से जुड़े संदेह, सवालों और विवादों में घिरे सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे जजों को क्या निशाना बनाया जा रहा है ? उक्त मामले की जांच कर रहे जजों के साथ खास तौर पर हो रही घटनायें इसी ओर इशारा कर रही हैं।
न्यायमूर्ति जे उत्पत, जस्टिस लोया और अब न्यायमूर्ति रेवती मोहिते देरे के साथ हुयी घटनाये कड़ियों को जोड़ रहीं हैं। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मुकदमे की मीडिया रिपोर्टिंग पर से बैन हटाने काअहम फैसला सुनाने वाली न्यायमूर्ति रेवती मोहिते देरे को भी सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई से हटा दिया गया है।
सीबीआई अदालत ने 29 नवंबर 2017 को अपने एक आदेश में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी। सेशन्स कोर्ट के फैसले को मुंबई के 9 पत्रकारों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। रिपोर्टिंग पर न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे ने अहम फैसला सुनाते हुए सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को खारिज कर दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे का फैसला कई मायनों में ऐतिहासिक है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति रेवती मोहिते देरे को सुनवाई से हटाये जाने पर सवाल खड़ा किया है। राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि न्यायमूर्ति देरे को हटाया गया जिन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले इस मामले के आरोपी भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पेश होने का आदेश देने वाले न्यायमूर्ति जे टी उत्पत को भी हटाया गया था। राहुल गांधी ने कहा कि इसी मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति बी एच लोया ने कड़े सवाल पूछे थे और उनकी मौत हो गयी।
राहुल गांधी ने अपने ट्विटर पेज पर न्यायमूर्ति देरे को हटाये जाने से सम्बन्धित समाचार और सोहराबुद्दीन की एक फोटो भी लगायी है । राहुल ने अपने इस ट्वीट के साथ एक वेबसाइट पर प्रकाशित खबर को टैग किया है जिसका शीर्षक है, ‘‘सोहराबुद्दीन शेख केस : ताजे सवाल क्योंकि मीडिया पर खबर प्रकाशन की रोक हटाने वाली और सीबीआई को आड़े हाथ लेने वाली न्यायाधीश को बदला गया। ’’
बंबई उच्च न्यायालय ने 12 वर्ष पुराने इस मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति देरे को इसकी सुनवाई से 24 फरवरी को हटा दिया है । न्यायमूर्ति जे टी उत्पत के बाद न्यायमूर्ति देरे दूसरी जज हैं जिन्हे हटाया गया है। पूर्व में इसी मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश लोया की मौत हो गयी थी और उनकी मौत से जुड़ी याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा है।
कैसे जुड़े अमित शाह सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ मामले से
गुजरात के पूर्व गृहराज्यमंत्री रहे अमित शाह 2005 में सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ और उनकी पत्नी कौसर बी की हत्या के मामले में हत्या, अपहरण, आपराधिक षड्यंत्र और वसूली समेत अन्य मामलों मे आरोपी रहे अमित शाह ने जुलाई 2010 में अहमदाबाद में सरेंडर किया था, लेकिन अक्टूबर 2010 में शाह को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। सीबीआई ने अमित शाह को सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसी राम प्रजापति की हत्या के मामले में भी आरोपी बनाया। बाद मे मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बड़ी राहत देते हुए सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में उनके खिलाफ लगे सभी आरोप खारिज कर दिए।
लेकिन बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका में सीबीआई की एक विशेष अदालत द्वारा शाह को आरोप मुक्त करने के 30 दिसंबर, 2014 के आदेश को चुनौती न देने की सीबीआई की कार्रवाई को ‘गैरकानूनी, मनमाना और दुर्भावनापूर्ण’ बताया गया। इस याचिका में यह भी कहा गया था कि सीबीआई एक प्रमुख जांच एजेंसी है। उसका सार्वजनिक कर्तव्य है कि वह अपने कार्यों से क़ानून के शासन का पालन करे जिसमें वह असफल हुई है।