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भारत मे सुपर फूड मछली के बारे में जागरुकता का अभाव, हो रहा ये नुकसान

नयी दिल्ली ,  दुनिया में सुपर फूड  मानी जाने वाली मछली के बारे में जागरुकता के अभाव में देश के बहुत कम लोगों को पता है कि यह हृदय से संबंधित बीमारियोें के खतरों को कम करने में भी कारगर है । मछली खाने से स्वास्थ्य को होने वाले फायदों को लेकर देश में बहुत कम लोगों को जानकारी है जिसके कारण इसकी खपत काफी कम है ।

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करीब 70 प्रतिशत से अधिक राज्यों में मछली की खपत प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति छह किलो से भी कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक वर्ष में एक व्यक्ति के लिए 12 किलो मछली खाने की अनुशंसा की हुई है । विश्व स्तर पर इसकी सालाना प्रति व्यक्ति 22.3 किलो खपत है । सेंट्रल इंस्टीच्यूट आफ फ्रेसवाटर एक्वाकल्चर ;सीआईएफएद्ध ने राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस के अवसर पर देश में मछली से संबंधित नवीनतम जानकारी साझा करते हुए कहा है कि धीरे धीरे समुद्र और नदी से मछली के उत्पादन की दर कम हो रही है और वर्तमान में करीब 60 प्रतिशत मछलियों की आपूर्ति मत्स्य पालन के माध्यम से होती है । बढ़ती आबादी के कारण मछली की मांग में भी वृद्धि हो रही है ।

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आनुवांशिक रुप से संवद्धिर्त ष्जयंती रेहु विकसित करने वाले इस संस्थान का कहना है कि कई राज्यों में जल का पर्याप्त भंडार होने के बावजूद वे मत्स्य पालन का लाभ नहीं ले रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि मछली की मांग को मत्स्य पालन से ही पूरा करना होगा । मत्स्य पालन से न सिर्फ आय होती है बल्कि इससे रोजगार भी मिलता है । जयंती रेहु परम्परागत रेहु की तुलना में तेजी से बढ़ती है । करीब 32 वर्षो के कार्यकाल के दौरान इस संस्थान ने ताजे जल में मत्स्य पालन को लेकर कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं जिनमें कैप्टिव ब्रीडिंग ए 24 से अधिक जलीय प्रजातियों एपोर्टेबल फिस हेचरी माडल , सस्ते मत्स्य आहार , बीमारियों की रोकथाम के कीट और दवाओं का विकास किया है ।

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संस्थान राज्यों के अधिकारियों , किसानों और मत्स्य व्यवसाय से जुड़े लोगों के कौशल विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।सीआईएफए ने मत्स्य पालन की आधुनिक तकनीक की जानकारी देने के लिए एक मोबाइल ऐप भी बनाया है जिसके माध्यम से नौ प्रमुख मछलियों को वैज्ञानिक विधि से पालन की जानकारी ली जा सकती है । इन मछलियों में मेजर कार्प , माइनर कार्प , ताजे जल की झींगा , कैट फिस , ताजे जल की मोती और सजावटी मछलियां शामिल है ।

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